नई दिल्ली॥ नागरिकता संशोधन कानून यानि CAA एक मर्तबा फिर से चर्चा में आ गया है। केंद्र की मोदी सरकार ने सन् 2019 में जब CAA लागू किया तो पूरे राष्ट्र कई जगहों पर व्यापर विरोध प्रदर्शऩ किए गए थे।
CAA के मुताबिक, बांग्लादेश, पाकिस्तान एवं अफगानिस्तान में हिंसा के शिकार ऐसे अल्पसंख्यकों नॉन मुस्लमों को नागरिकता दी जाएगी जो 31 दिसंबर 2014 तक हिंदुस्तान आ गए थे। अब केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस एक्ट को लागू करने का पूरा प्लॉन बना लिया है।
गृह मंत्रालय ने नोटिफिकेशन में स्पष्ट किया कि CAA 1955 की धारा 16 के अंतर्गत मिली शक्तियों का उपयोग करते हुए मोदी सरकार ने कानून की धारा 5 के अंतर्गत ये कदम उठाया है। इसके अंतर्गत कई प्रदेशों एवं जिलों में रह रहे पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के अल्पसंख्यक समुदाय हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और इसाई लोगों को हिंदुस्तानी नागरिक के तौर पर पंजीकृत करने के लिए निर्देश दिया गया है।
इस मामले में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक अधिसूचना जारी की गई है। नोटिफिकेशन में नागरिकता अधिनियम 1955 और 2009 में कानून के अंतर्गत बनाए गए नियमों के अंतर्गत आदेश के तुरंत पालन की बात कही गई है। भले ही 2019 में सरकार की ओर से पास किए गए CAA के अंतर्गत नियमों को अब तक तैयार नहीं किया गया है। लेकिन इन तीन देशों के अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने के वादे पर सरकार अडिग है।