महिलाओं के बेहतर पोषण के लिए अगले महीने चलेगा अभियान

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कुशीनगर। मातृ-शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिए अगले महीने ‘एक कदम सुरक्षित मातृत्व की ओर’ अभियान चलाया जायेगा। मातृ स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत चलने वाले इस अभियान में गर्भावस्था और प्रसवोपरांत महिलाओं के पोषण पर विशेष जोर रहेगा। अभियान के तहत आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता घर-घर जाकर गर्भवती और धात्री महिलाओं को चिन्हित एवं सूचीबद्ध करेंगी ताकि सेहत को लेकर उनका फाॅलोअप किया जा सके। अभियान के सफल संचालन के लिए स्वास्थ्य विभाग ने कवायद शुरू कर दी है।

Maternal Health Program

मातृत्व स्वास्थ्य कार्यक्रम के जिला परामर्शदाता डाॅ.रितेश तिवारी ने बताया कि आगामी पहली से 31 मई तक चलने वाले अभियान में प्रत्येक गर्भवती व धात्री तक आयरन, कैल्शियम, एलबेंडाजोल, व फोलिक एसिड की उपलब्धता और दवाओं का सेवन सुनिश्चित करने का कार्य किया जाएगा। साथ ही प्रसव पूर्व जांचों तथा ससमय गोलियों के सेवन के लिए भी जागरूक किया जाएगा। अभियान में मातृ पोषण के लिए आवश्यक दवाएं निःशुल्क कराई जाएंगी। पहली से 24 मई तक गर्भवती और धात्री पर विशेष फोकस रहेगा। जबकि 25 से 31 मई तक छूटे हुए लाभार्थियों के लिए मापअप सप्ताह मनाया जाएगा और आवश्यक सेवाएँ प्रदान की जाएगी।

इन मंचों के माध्यम से मिलेंगी सेवाएं

  • सभी स्वास्थ्य इकाईयों पर ओपीडी और आईडीपी के माध्यम से
  • ग्राम स्वास्थ्य स्वच्छता एवं पोषण दिवस ( वीएचएसएनडी) के माध्यम से
  • पीएमएसएमए तथा पीएमएसएमए प्लस के माध्यम से
  • मुख्यमंत्री जन आरोग्य मेला के माध्यम से

अभियान पूर्व तैयारी

  • उपकेन्द्र व ब्लाॅकवार गर्भवती व धात्री की ड्यूलिस्ट तैयार करना।
  • अनुमानित गर्भवती व धात्री की संख्या के आधार पर दवाओं की मांग करना।
  • 25 मई तक लाभार्थियों की संख्या के अनुरूप एएनएम को दवा उपलब्ध कराना ।
  • ड्यूलिस्ट के अनुसार वीएचएसएनडी पर एमसीपी कार्ड उपलब्ध कराना ।
  • आशा , आंगनबाड़ी और एएनएम ( ट्रिपल ए) को प्रशिक्षित करना ।
  • अभियान के लिए उपलब्ध आईईसी सामग्री का प्रयोग करना।
  • पीएमएसएमए दिवस पर एनीमिया की जांच के लिए हीमोग्लोबिनोमीटर की उपलब्धता सुनिश्चित करना।

अभियान के दौरान आयोजित होने वाली गतिविधियां

  • प्रथम त्रैमास वाली सभी गर्भवती को फोलिक एसिड उपलब्ध कराना।
  • दूसरे और तृतीय त्रैमास की सभी गर्भवती से पूर्व में दिए गए आयरन, फोलिक एसिड, कैल्शियम की गोलियों के बारे में जानकारी लेना तथा अगले दिनों के लिए दवा उपलब्ध कराना।
  • सभी गर्भवती का वजन व लंबाई लेना। इसके लिए वजन मशीन और टेप का प्रयोग किया जाए।
  • पिछली प्रसवपूर्व जांच में लिए गए वजन से तुलना कर वजन में वृद्धि का आंकलन करना।
  • सभी गर्भवती के पेट की जांच करना।
  • उच्च जोखिम गर्भावस्था( एचआरपी) वाली महिलाओं की पहचान करना और उन्हें चिकित्सा इकाईयों पर संदर्भित करना।
  • आशा, आंगनबाड़ी और एएनएम द्वारा उच्च जोखिम गर्भावस्था वाली महिलाओं का फाॅलोअप करना।

अभियान के पश्चात की गतिविधियां

आशा कार्यकर्ताओं द्वारा गृह भ्रमण कर फोलिक एसिड, आयरन, कैल्शियम के सेवन के बारे में पूछना, हर प्रकार की भ्रांतियों को दूर करना।

  • कुपोषित और कमजोर गर्भवती का फाॅलोअप करना।
  • ट्रिपल ए की बैठक में अभियान के प्रगति की जानकारी लेना।

    क्या कहते हैं एनएफएचएस-5 के आकड़े

    प्रदेश में 22.30 प्रतिशत गर्भवती द्वारा ही 100 दिनों तक आयरन की गोलियों का सेवन किया गया। मात्र 9.7 प्रतिशत गर्भवती द्वारा ही 180 दिनों तक आयरन की गोलियों का सेवन किया गया। प्रदेश में अभी भी 45.9 प्रतिशत गर्भवती में एनीमिया पाया गया।

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