सियासत: बसों को मंजूरी देने का मामला, प्रियंका गांधी और सीएम योगी में घमासान

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लखनऊ। कोरोना वायरस के चलते गए लॉकडाउन में फंसे प्रवासी मजदूरों को घर पहुंचाने के लिए कांग्रेस की ओर से एक हजार बसें उपलब्ध कराने कि मांग पर यूपी सरकार और प्रियंका गांधी के बीच घमासान शुरू हो गया है। प्रियंका गांधी ने प्रवासी मज़दूरों को उनके घर पहुंचाने के लिए सीएम योगी से ग़ाज़ियाबाद और नोएडा से 500-500 बसें चलाने की अनुमति मांगी थी। सोमवार को योगी सरकार ने बसों को मंजूरी देने के साथ कांग्रेस से सभी बसों को हैंडओवर करने के साथ ही फिटनेस सर्टिफिकेट और ड्राइवरों के लाइसेस सहित सभी दस्तावेज मांगे। कांग्रेस ने रात 2 बजकर 10 मिनट पर इस पत्र का जवाब दिया।

कांग्रेस ने योगी सरकार के इस कदम को पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित बताया है। प्रियंका गांधी के निजी सचिव संदीप सिंह ने उत्तर प्रदेश सरकार को पत्र लिखकर सवाल किया है कि एक हजार खाली बसे लखनऊ भेजना समय की बर्बादी और संसाधन की बर्बादी है। आपकी सरकार की यह मांग पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित लगती है। राज्य की सीमा से बसों को खाली कराकर लखनऊ में औपचारिक रूप से हैंडओवर करने के पीछे क्या औचित्य है ?

उल्लेखनीय है कि इससे पहले प्रियंका गांधी ने सीएम योगी से लॉकडाउन की वजह से फंसे मजदूरों को उनके घर पहुंचाने के लिए एक हजार बसों को चलाने की अनुमति मांगी थी, जिसे सोमवार को उत्तर प्रदेश सरकार ने स्वीकार कर लिया था। कांग्रेस ने इन बसों को राजस्थान से मंगवाया है, जहां पर सत्ता में है। प्रियंका गांधी ने सीएम योगी से अपील की थी कि यह समय राजनीति करने का नहीं है। सीमा पर खड़ीं हमारी बसों को प्रवासी मजदूरों को उनके घर पहुंचाने की अनुमति दी जाए।

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