CBI ने रिवर फ्रंट घोटाले में कसा शिकंजा, तीन राज्यों के 13 जिलों में छापेमारी

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लखनऊ। सीबीआई (CBI)ने रिवर फ्रंट घोटाले में बड़ी कार्रवाई शुरू कर दी है। CBI ने यूपी के साथ पश्चिम बंगाल और राजस्थान में भी छापेमारी की है। तीन राज्यों के लखनऊ, कोलकाता, गाजियाबाद समेत 13 जिलों में एक साथ छापेमारी की। 42 ठिकानों में तलाशी हो रही है। सीबीआई ने कई सुपरिंटेंड इंजीनियर और अधिशासी इंजीनियरों के विरूद्ध केस दर्ज किया है।

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बता दें कि सीबीआई (CBI) लखनऊ की एंटी करप्शन विंग ने रिवर फ्रंट घोटाले में करीब दर्जनों लोगों के विरूद्ध FIR दर्ज की थी। यूपी में लखनऊ के अलावा, नोएडा, गाजियाबाद, बुलंदशहर, रायबरेली, सीतापुर, इटावा और आगरा में छापेमारी की गई है। रिवरफ्रंट घोटाले सपा सरकार में हुए जिसमें छापेमारी शुरू कर दी गई है।

दरअसल, रिवरफ्रंट घोटाले के आरोप सपा सरकार पर लगते रहे हैं। रिवरफ्रंट सपा सरकार में गोमती नदी के किनारे बनवाया गया था जिसका सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव प्रचार करते रहे हैं। प्रदेश में 2017 में भाजपा सरकार आने पर मामले की जांच की बात कही गई थी जिसके बाद से कई अफसरों के विरूद्ध अब तक एफआईआर दर्ज की जा चुकी है। मामले में अब फिर से छापेमारी का दौर शुरू हो चुका है।

करीब 1500 करोड़ रुपये के इस घोटाले की जांच फिलहाल सीबीआई (CBI) कर रही है। प्रवर्तन निदेशालय भी मनी लांड्रिंग का मामला दर्ज कर जांच कर रहा है।राज्य सरकार ने चार साल पहले घोटाले की जांच CBI से कराने की संस्तुति की थी। उससे पहले अप्रैल 2017 में प्रदेश सरकार ने रिवर फ्रंट घोटाले की न्यायिक जांच के आदेश दिए थे।

सीबीआई (CBI) लखनऊ की एंटी करप्शन ब्रांच ने प्रदेश सरकार के निर्देश पर सिंचाई विभाग की ओर से लखनऊ के गोमतीनगर थाने में दर्ज कराए गए मुकदमे को आधार बनाकर 30 नवंबर 2017 में नया मुकदमा दर्ज किया था। इसमें सिंचाई विभाग के तत्कालीन मुख्य अभियंता (अब सेवानिवृत्त) गुलेश चंद, एसएन शर्मा व काजिम अली, तत्कालीन अधीक्षण अभियंता (अब सेवानिवृत्त) शिव मंगल यादव, अखिल रमन, कमलेश्वर सिंह व रूप सिंह यादव तथा अधिशासी अभियंता सुरेश यादव नामजद हैं। CBI ने अपनी जांच शुरू भी कर दी। उसने सिंचाई विभाग से हासिल पत्रावलियों की जांच करने के अलावा कुछ आरोपियों से पूछताछ भी की।

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