CBI ने किया बड़े घोटाले का खुलासा: इस कंपनी को बैंक ने दिया 2100 करोड़ का कर्ज

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कानपुर। केन्द्रीय जांच एजेंसी (CBI) ने कानपुर में एक और बड़े घोटाले का पर्दाफाश किया है। यहां स्थित रोटोमैक कंपनी ने चार कंपनियों के साथ मिलाकर 26000 करोड़ का कारोबार किया। सबसे ज्यादा हैरान करने वाली बात ये है कि इन चारों कंपनियों का पता एक ही है और यहां का कर्मचारी भी एक ही है। सीबीआई अब इस बात का पता लगाने में जुटी है कि कैसे बैंक द्वारा एक कर्मचारी वाली कंपनियों से कारोबार के आधार पर रोटोमैक को 2100 करोड़ का कर्ज दिया गया।

CBI की जांच में पता चला है कि रोटोमैक कंपनी ने सिर्फ चार कंपनियों के साथ 26,143 करोड़ रुपये का कारोबार किया था। इन कंपनियों का पता भी एक है जो मात्र 1500 वर्ग फुट का एक हॉल है। चौंकाने वाली बाटे ये है कि इन चारों कंपनियों में वही कर्मचारी है, जो कंपनी का सीईओ भी है। इन कंपनियों के साथ हो रहे अरबों रुपये के कारोबार के आधार पर ही बैंकों ने रोटोमैक को 2100 करोड़ रुपये का लोन भी दिया है।

सीबीआई (CBI) के मुताबिक कंपनी के निदेशक विक्रम कोठारी की मौत हो चुकी है। ऐसे में राहुल कोठारी ने अन्य लोगों के साथ मिलकर अपनी बैलेंसशीट के साथ फर्जीवाड़ा करके बैंक को धोखा दिया और करोड़ों का लोन प्राप्त किया। दरअसल, पंजाब नेशनल बैंक की शिकायत पर सीबीआई ने रोटोमैक ग्लोबल के निदेशक राहुल कोठारी, साधना कोठारी और अज्ञात अधिकारियों के खिलाफ 93 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का नया मामला पंजीकृत किया है।

जांच एजेंसी (CBI) का कहना है कि रोटोमैक ग्रुप के साथ कारोबार करने वाली चार कंपनियां रोटोमैक के सीईओ राजीव कामदार के भाई प्रेमल प्रफुल कामदार के स्वामित्व में हैं। रोटोमैक ने इन चार कंपनियों को कागज में उत्पादों का निर्यात किया। ये सभी कंपनियां बंज ग्रुप से रोटोमैक को सामान बेच रही थीं यानी जिस कंपनी ने सामान बनाया वह उसका माल खरीद रही थी। सीबीआई के मुताबिक इन चार कंपनियों के नाम हैं- मैग्नम मल्टी-ट्रेड, ट्रायम्फ इंटरनेशनल, पैसिफिक यूनिवर्सल जनरल ट्रेडिंग और पैसिफिक ग्लोबल रिसोर्सेज प्राइवेट लिमिटेड है।

एक कर्मचारी ने इतने बड़े कारोबार को कैसे संभाला?

एजेंसी कि जांच में पता चला है कि 26 हजार करोड़ का कारोबार दिखाने वाली चार कंपनियों में प्रेमल प्रफुल्ल कामदार नाम का एक ही कर्मचारी था और वह 1500 वर्ग फुट के एक कमरे में बैठा पोर्ट से लेकर लोडिंग, अनलोडिंग तक का सारा काम संभालता है। सीबीआई ने हैरानी जताई कि बैंकों ने ऐसी कंपनी से कारोबार के आधार पर 2100 करोड़ रुपये की कर्ज सीमा कैसे दे दी। अब बैंक के अधिकारी भी संदेह के घेरे में हैं। (CBI)
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