कुशीनगर। फाइलेरिया उन्मूलन के लिए हाटा ब्लॉक सभागार में आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को मंगलवार को जागरूक और प्रशिक्षित किया गया। खुद बाल विकास परियोजना अधिकारी प्रत्यूष चंद्रा ने फाइलेरिया रोग के बारे में अपना व्यक्तिगत अनुभव साझा किया। उन्होंने खुद अपने को फाइलेरिया की रोगी होने का हवाला देते हुए रोग प्रति सतर्कता और जागरूकता की बात कही।
उन्होंने बताया कि फाइलेरिया रोग मच्छर के काटने से होता है। इसमें शरीर के कुछ हिस्सों जैसे हाथ, पैर स्तन में सूजन हो जाती है। रोगी कमजोर होने लगता है। चलने में तकलीफ होती है। मौसम बदलने के साथ ही शरीर में भी बदलाव होने लगता है। हल्की खुजली महसूस होती है। ऐसे लक्षण जब भी किसी व्यक्ति में दिखे तो सबसे पहले जांच कराएं।
सरकारी अस्पताल पर जाकर चिकित्सक को दिखाएं और जो दवा मिले उसका सेवन करें। सोशल मोबालाइजेशन को-आर्डिनेटर ( एसएमसी) विश्वजीत ओझा ने बताया कि फाइलेरिया मुक्ति अभियान के दौरान स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा उपलब्ध कराई जाने वाली दवाओं का सेवन करें। बीमारी से बचाव के लिए मच्छरदानी का प्रयोग करें।
अपने घरों के आसपास पानी न इकट्ठा होने दें। फाइलेरिया की दवा का सेवन दो वर्ष से अधिक उम्र (गर्भवती व गंभीर तौर पर बीमार लोगों को छोड़ कर) के सभी लोगों को करना है। प्रशिक्षण कार्यक्रम में उपस्थित आंगनबाड़ी कार्यकत्री में मीरा, रमावती, संगीता, इंदू, मंजू, विद्यावती, गीता, संजीता, आरती, आशा, पिंकी और सुनीता के नाम प्रमुख तौर पर मौजूद रहीं। है।
ग्राम पंचायत भिसवा बाजार की आंगनबाड़ी कार्यकत्री मंजूलता सिंह ने बताया कि प्रशिक्षण मे फाइलेरिया रोग, जांच तथा उपचार के बारे में जानकारी मिली है। उन्हें बताया गया कि फाइलेरिया रोग मच्छर के काटने से होता है। फाइलेरिया की वजह से बुखार, शरीर में जलन और सूजन होता है। किसी को हाथीपाँव तो किसी डाईड्रोसील हो जाता है।
रोग के लक्षण दिखे तो तत्काल सरकारी अस्पताल पर जाकर जांच करा कर दवा लेनी चाहिए।जांच व दवा दोनों निःशुल्क है। ग्राम पंचायत अहिरौली की आंगनबाड़ी कार्यकत्री सरोज यादव ने बताया कि दवा दो वर्ष से कम आयु वर्ग के बच्चों, गर्भवती व गंभीर रूप से बीमार लोगों को दवा नहीं देनी है। खाली पेट दवा नहीं खानी है। यह भी बताया गया कि फाइलेरिया की जांच रात में ही कराना ठीक रहता है।