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भारत और कनाडा के बीच एक लंबे समय से तनातनी चल रही है। हाल ही के समय में भारत और कनाडा के रिश्ते बिगड़े हैं जिसका सबसे बड़ा और अहम कारण है खालिस्तानी।

खालिस्तानियों का कनाडा हमेशा से ही समर्थन करता आ रहा है जिसके चलते उसने कई बार भारत के विरूद्ध अनर्गल बयानबाजी की है। लेकिन अब कनाडा की मुश्किलें बढ़ चुकी हैं। भारत से विवाद के चलते अब कनाडा का दिवाला निकल चुका है। आलम ये है कि कनाडा में भी मंदी संकट मंडराने लगा है।

ब्रिटेन समेत दुनिया के तमाम ऐसे देश हैं जो इस वक्त संकट से जूझ रहे हैं वहीं अब इस लिस्ट में कनाडा का भी नाम शुमार हो गया है। एक रिपोर्ट के अनुसार कनाडा में बैंकरप्सी के लिए अप्लाई करने वाली कंपनियों की संख्या हाल ही के समय में तेजी से बढ़ी है, जिसमें अकेले जनवरी के महीने में ही 800 से ज्यादा ऐसी कंपनियों ने बैंकरप्सी के लिए आवेदन किया है।

बता दें कि इससे पहले यानी साल दो हज़ार 23 में बैंकरप्सी फाइलिंग में 40 फीसदी की तेजी देखने को मिली थी, जिसमें खासतौर पर कनाडा की कंपनी के नाम शामिल थे। हालांकि सवाल यह है कि आखिर कनाडा के हालात इतने बिगड़े कैसी हैं या कहें कि इतने खराब कैसे हो गए कि अब कनाडा में यह संकट इतना बढ़ चुका है।

दरअसल, कनाडा के बिगड़ते हालात कोरोना काल से शुरू हुए जब कंपनियों को 45,000 डॉलर का ब्याजमुक्त लोन दिया गया था, जिसे चुकाने की डेडलाइन जनवरी में खत्म हुई। वहीं कनाडा की जीडीपी में छोटी कंपनियों की 33 फीसदी की हिस्सेदारी है। हालांकि सरकारी आंकड़ों की मानें तो कनाडा की इकोनॉमी बेहद मजबूत है, लेकिन वहीं जो छोटी कंपनियां हैं और जो कंज्यूमर हैं उनको बड़ी मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है। 
 

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