दो अप्रैल से शुरू हुई नवरात्रि कल नवमी के पूजन के साथ समाप्त हो रही है। नवरात्रि के इस पूरे नौ दिनों तक भक्त देवी दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की आराधना करते हैं। इसके बाद नवमी को हवन करके व्रत का समापन करते हैं। मान्यता है कि हवन के बाद ही नौ दिनों की उपासना पूरी मानी जाती है। इस बार चैत्र नवरात्रि की नवमी तिथि 10 अप्रैल दिन रविवार को पड़ रही है। आइए जानते हैं हवन के लिए शुभ मुहूर्त, विधि और हवन-सामग्री के बारे में।
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार चैत्र नवरात्रि की नवमी तिथि 9 अप्रैल दिन शनिवार को देर रात 1 बजकर 23 मिनट से आरंभ हो जाएगी और 11 अप्रैल की सुबह 3 बजकर 15 मिनट पर समाप्त होगी। नवमी तिथि पर कई शुभ योग भी बन रहे हैं। ज्योतिषी बता रहे हैं कि 10 अप्रैल की सुबह 4 बजकर 31 मिनट से 6 बजकर 01 मिनट तक रवि योग रहेगा। इसके बाद दोपहर 12 बजकर 4 मिनट तक सुकर्मा योग, रवि पुष्य योग और सर्वार्थ सिद्धि योग दिनभर रहेगा। ऐसे में नवमी के दिन आप किसी भी वक्त हवन कर सकते हैं।
हवन कुंड, आम की लकड़ी,जौ, शक्कर, गाय का घी, सूखा नारियल, चावल, काला तिल, पान का पत्ता, कलावा, लौंग, इलायची, कपूर, बताशा आदि।
सबसे पहले हवन कुंड को गंगाजल से शुद्ध कर लें। अगर घर में हवन कुंड की नहीं है तो ईंट का हवन कुंड बनाया जा सकता है। हवन कुंड के चारों तरफ कलावा बांध दें। इसके बाद उस पर स्वास्तिक बनाकर उसका पूजन करें। अब हवन कुंड पर अक्षत, फूल, चंदन आदि का अर्पण करें।
फिर घी, शक्कर, चावल और कपूर डाल एक कर हवन सामग्री तैयार करें। हवन कुंड में पूर्व, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण दिशा की तरफ से 4 समिधा यानी आम की लकड़ी रखें। इन समिधाओं को भी कलावा से बांधें। फिर इसके बीच में पान का पत्ता रखकर उस पर कपूर, लौंग, इलायची, बताशा आदि रखें। अब हवन कुंड में आम की लकड़ियां रखकर अग्नि प्रज्ज्वलित करें।
अब मंत्र बोलते हुए हवन सामग्री से अग्नि में आहुति दें। हवन संपूर्ण होने के बाद 9 कन्याओं का पूजन कर उन्हें खीर पूड़ी काभोजन कराएं। भोजन समाप्ति के बाद उनके पैर छूकर उनका आशीर्वाद लें और कन्याओं को दक्षिणा या उपहार देकर श्रद्धापूर्वक विदा करें।