Chanakya Niti : संतान को योग्य बनाने के लिए अपनाएं ये खास तरीका

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चाणक्य नीति (Chanakya Niti) की बातें आज भी प्रासंगिक हैं। यही वजह है कि आज से सैकड़ों साल पहले लिखी गई चाणकय नीति को आज भी पढ़ते हैं और उन पर अमल करने की कोशिश करते हैं।

Chanakya Niti

 

लालयेत्पञ्चवर्षाणि दश वर्षाणि ताडयेत् ।

प्राप्ते तु षोडशे वर्षे पुत्रं मित्रवदाचरेत् ।।

चाणक्य नीति (Chanakya Niti) में कहा गया है कि पांच साल तक के पुत्र का लाड और प्यार से लालन-पालन करना चाहिए। इसके बाद दस वर्ष तक उसे छड़ी की मार से डराना चाहिए लेकिन जब वह 16 साल का हो जाये तो उसे मित्र बना लेना चाहिए। चाणक्य कहते हैं कि ऐसा व्यवहार करने से संतान अनुशासित बनती है। संतान को लेकर कही गई चाणक्य की इस बात में संतान को बनाने और संवारने का संदेश दिया गया है।

किं जातैर्बहुभिः पुत्रैः शोकसन्तापकारकैः ।
वरमेकः कुलालम्बी यत्र विश्राम्यते कुलम् ।।

चाणक्य नीति (Chanakya Niti) के इस श्लोक का मतलब है कि ऐसे अनेक पुत्र किस काम के जो दुःख और निराशा उतपन्न करें। इससे तो वह एक ही पुत्र अच्छा है जो संपूर्ण घर को सहारा और शांति दें

मूर्खा यत्र न पुज्यन्ते धान्यं यत्र सुसञ्चितम् ।
दाम्पत्ये कलहो नास्ति तत्र श्रीः स्वयमागता ।।

चाणक्य नीति (Chanakya Niti) के मुताबिक धन की देवी लक्ष्मी उस स्थान पर खुद ही चली आ जाती हैं जहां मूर्खो को सम्मान नहीं दिया जाता। अनाज का भंडारण अच्छे ढंग होता है। पति, पत्नी मे कलह नहीं होती। चाणक्य के इस श्लोक का अर्थ है कि लक्ष्मी जी की कृपा उस स्थान पर हमेशा बनी रहती है।

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