Chanakya Niti: ऐसा होने पर किसी और को भुगतनी पड़ती है गलती की सजा

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धार्मिक शास्त्रों और गुरुण पुराण में बताया गया है कि व्यक्ति को उसके पिछले जन्म और वर्तमान युग में कर्म के हिसाब से ही फल मिलता है। उसे उसके कर्मों की सजा भी उसी हिसाब से मिलती है। आचार्य चाणक्य कहते हैं कि कई बार व्यक्ति को अपने कर्मों के साथ-साथ दूसरों की गलती की भी सजा भुगतनी पड़ती है। चाणक्य ने एक श्लोक के माध्यम से बताया है कि किस परिस्थिति में व्यक्ति को दूसरों की गलतियों प् परिणाम भुगतना पड़ता है।

राजा राष्ट्रकृतं पापं राज्ञ: पापं पुरोहित:।

भर्ता च स्त्रीकृतं पापं शिष्यपापं गुरुस्तथा।।

जनता-मुखिया

चाणक्य ने श्लोक के अनुसार अगर किसी देश की जनता सामूहिक तौर पर कोई गलती करती है तो इसका नाकारात्मक असर उस देश पर और वहां के मुखिया व शासन पर भी पड़ता है। ऐसे में आवश्यक हो जाता है कि शासन और उस देश के प्रधान जनता को गलत काम करने से रोके। जैसे कि अगर किसी संस्थान के कर्मचारी गलती करते हैं तो टीम लीडर के साथ उस ऑफिस के मुखिया को भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है और संस्थान को भारी नुकसान उठाना पड़ता है।

पति-पत्नी

जब किसी की पत्नी कोई गलत कार्य करती है तो खुद के साथ उसके पति को भी उसकी गलती की सजा भुगतनी पड़ती है। ठीक उसी प्रकार से पति कोई गलत कार्य करता है तो पत्नी उसके कर्मों का फल भोगती है। ऐसे में दांपत्य जीवन की खुशहाली के लिए पति-पत्नी के रिश्तों का मजबूत होने बहुत जरूरी है। अगर दोनों में से एक भी एक गलत राह पर है तो दूसरी की जिम्मेदारी होनी चाहिए उसे समझाये और सही रस्ते पर लाये।

गुरु-शिष्य

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जब कोई शिष्य गलत कार्य करता है तो उसके साथ ही उसके गुरु की भी बदनामी होती है। दरअसल गुरु का कर्तव्य होता है शिष्य को अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाना। ऐसे में जब गुरु अपने कर्तव्य का सही तरीके से निर्वहन नहीं कर पाते हैं तो शिष्य अपने मार्ग से भटक जाता है जिससे गुरु की भी छवि खराब होती है।

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