Chanakya Niti: धैर्य की अपनी सीमाएं हैं, ज्यादा होने पर कायरता बन जाती है

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चाणक्य की नीतियां व्यक्ति को सफलता के मार्ग पर ले जाती है। चाणक्य ने व्यक्ति को सफलता पाने के लिए उसकी ताकत और कमजोरी के बारे में बताया गया है। उन्होंने बताया कि किन हालातों में कौन से गुण उनकी ताकत होते हैं और कौन सी चीजें आपको कमजोर और कायर बनाती है। नीति शास्त्र में एक ऐसे गुण का जिक्र किया गया है कि जो व्यक्ति की ताकत होता हैं लेकिन किस परिस्थिति में ये गुण व्यक्ति की कमजोरी बन जाता है आइए जानते हैं।

‘आचार्य चाणक्य कहते हैं कि धैर्य इंसान का सर्वश्रेष्ठ गुण है। ये ऐसा गुण है जो कठिन परिस्थिति में व्यक्ति को ताकत देता है। वे कहते हैं कि धैर्य बुरे वक्त से निकलने में व्यक्ति को शक्ति प्रदान करता है, लेकिन अगर धैर्य जरूरत से अधिक हो तो व्यक्ति कायर कहलाने लगता है। चाणक्य कहते हैं कि सब्र की भी अपनी एक सीमा होती है। उन्होंने कहा कि कुछ लोगों में सहन शक्ति जबरदस्त होती है। वे हर मामले को शांति पूर्वक सुलझाना पसंद करते हैं।

वे हर पहलू को शालीनता से निपटाना पसद करते हैं लेकिन ये चीजें के हद तक सही होती है लेकिन जहां जरूरत हो वहां स्वभाव को बदलना जरुरी होता है। जरूरत से ज्यादा सब्र कई मामलों में व्यक्ति की कमजोरी बन जाता है और सामने वाला आपका फायदा उठा सकता है। आचार्य चाणक्य कहते हैं कि अपने स्वाभिमान से कभी समझौता नहीं करना चाहिए। यहां धैर्य दिखना व्यक्ति की मान-सम्मान को ठेस पहुंचाता है और इससे उसकी छवि खराब होती है।

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