Chhath Puja Kharna: जानें- खरना का अर्थ और पूजन विधि

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दीपावली के बाद चौथ के दिन नहाय-खाय से छठ पर्व की शुरुआत हो चुकी है। छठ पर्व चार दिनों तक चलता है। छठ पर्व का दूसरा दिन खरना कहलाता है। ये कार्तिक पंचमी के दिन मनाया जाता है। इस साल खरना 09 नवंबर यानि आज के दिन मनाया जा रहा है। इसके बाद षष्ठी और सप्तमी के दिन भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। तो आइए जानते हैं क्या होता है खरना और क्या है इसकी व्रत विधि….

क्या होता है खरना –

छठ पर्व का दूसरा दिन खरना होता है। खरना का मतलब है शुद्धिकरण। छठ के व्रत में सफाई और स्वच्छता का बहुत महत्व है। पहले दिन नहाय-खाय जहां तन की स्वच्छता करता है, वहीं दूसरे दिन खरना में मन की स्वच्छता पर जोर दिया जाता है। इसके बाद छठ के मूल पर्व षष्ठी का पूजन होता है और भगवान सूर्य को अर्घ्य दे कर उनका आवहन किया जाता है। खरना के दिन तन मन से शुद्ध हो कर छठी मैय्या का प्रसाद बनाया जाता है।

खरना की पूजन विधि –

नहाय-खाय के दिन पवित्र नदिय या तलाब में नहाने के बाद चने की दाल, लौकी की सब्जी आदि खा कर पूरे दिन निर्जल व्रत रखा जाता है। इसके बाद खरना के दिन शाम के समय सूर्य देवता और छठी मैय्या का पूजन करने के बाद गुड़ और चावल की खीर बनाई जाती है। इसके साथ आटे की रोटी भी बनाते हैं। ये खाना मिट्टी के नये चूल्हे पर आम की लकड़ी से बनाया जाता है। खरना के दिन भगवान को भोग लगाने के बाद सबसे पहले व्रती प्रसाद ग्रहण करता है।

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