नई दिल्ली॥ राजस्थान में चल रहे सियासी संकट के बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बुधवार को राज्यपाल कलराज मिश्र से मुलाकात की। राज्यपाल से गहलोत की यह चौथी मुलाकात थीं। दोनों के बीच करीब 15 मिनट तक चर्चा हुई। राज्यपाल ने 31 जुलाई से सत्र बुलाने का प्रस्ताव लगातार तीसरी बार लौटा दिया है।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राजभवन जाने से पहले इसकी पुष्टि की है। इससे पहले दूसरा प्रस्ताव लौटाते वक्त शर्त रखी थी कि सत्र बुलाने के लिए 21 दिन का नोटिस दिया जाना चाहिए। सरकार ने राज्यपाल की आपत्तियों के जवाब के साथ मंगलवार को तीसरी बार प्रस्ताव भेजा था। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आज शाम पांच बजे कैबिनेट की बैठक बुलाई है।
इससे पहले राज्यपाल की आपत्तियों वाली चिट्ठी पर गहलोत ने कहा कि प्रेम पत्र तो पहले ही आ चुका है, अब मिलकर पूछूंगा कि क्या चाहते हैं? नोटिस की शर्त को लेकर गहलोत ने कहा कि 21 दिन हों या 31 दिन, जीत हमारी होगी। 70 साल में पहली बार किसी राज्यपाल ने इस तरह के सवाल किए हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार गिराने की साजिश की जा रही है, लेकिन हम मजबूत हैं। जिन्होंने धोखा दिया, वे चाहें तो पार्टी में लौटकर आ जाएं और सोनिया गांधी से माफी मांग लें। गहलोत ने गोविंद सिंह डोटासरा के कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष का पद संभालने के कार्यक्रम में यह बयान दिया।
उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार के सहयोग एवं धन-बल के सहारे सरकार को अस्थिर करने का षडयंत्र चल रहा है, लेकिन चिंता की जरूरत नहीं हैं। हमारी सरकार पूरे पांच साल मजबूती से चलेगी। सदन बुलाने के लिए मध्यप्रदेश के राज्यपाल की अप्रोच हमारे राज्यपाल से अलग हैं। आज भी हमें कह दिया गया है कि 21 दिन के वक्त में बुला पाओगे। हमारे जांबाज (विधायक) बैठे हुए हैं। 15 दिन से होटल में एक साथ बैठे रहना आसान काम नहीं है। अब चाहे 21 दिन हो या 31 दिन जीत हमारी होगी।
उन्होंने कहा कि कोरोना जैसी महामारी के दौर में भी बहुमत वाली सरकार को गिराने का षडय़ंत्र रचा जा सकता है। मोदी जी ने ताली और थाली बजवाई। मोमबत्ती जलवाई। कैसे संभव है कि ऐसे माहौल में कोई सरकार गिराने का वक्त निकाल लेगा। उन्होंने कहा कि केबिनेट के प्रस्ताव की एक फाइल होती है। राज्यपाल के साइन होकर वापस आ जाती है। राज्यपाल का इतना ही काम होता है। आगे की सारी प्रक्रिया विधानसभा अध्यक्ष करते हैं। यहां 6 पेज के पत्र लिखे जा रहे हैं। चुन-चुन कर छापे पड़ रहे हैं।