दक्षिण अमेरिकी देश चिली में एक ऐसा कानून पास हुआ है, जिसकी तारीफ दुनियाभर में हो रही है. आपको बता दें कि जिसके तहत निजी पहचान, इच्छा और मानसिक निजता (Advances in Technology are applied to the Mind and the Brain) को अधिकारों का दर्जा दिया गया है. ऐसा करने वाला चिली दुनिया का पहला देश बन गया है.+
आपको बता दें कि न्यूरोटेक्नोलॉजी के जरिए किसी व्यक्ति को नियंत्रित करके कुछ करवाना इस कानून के तहत अपराध माना जाएगा. सांसद गीडो जिरार्डी ने कहा कि इसका मकसद इंसान की सोच की रक्षा करना है. न्यूरोटेक्नोलॉजी के बढ़ते इस्तेमाल से इसकी सुरक्षा खतरे में है. विशेषज्ञों का मानना है कि ये भविष्य में मानवाधिकारों की रक्षा का आधार बन सकता है.
वहीँ विशेषज्ञों को इस बात की चिंता है कि न्यूरोटेक्नोलॉजी को नियमित नहीं किया गया तो यह इंसान की सोचने की आजादी के लिए खतरा बन सकती है. अगर टेक्नोलॉजी सोचने से पहले ही दिमाग पढ़ने में सफल रहती है, तो यह ऐसी भावनाएं पैदा कर सकती है, जो वास्तव में हैं ही नहीं. इसके अलावा यह ब्रेन एक्टिविटी विश्लेषण कर उनमें हेर-फेर की ताकत भी रखती है. इसका इस्तेमाल आर्थिक फायदों के लिए हो सकता है.