चीनी सरकार ने शिनजियांग प्रांत में रहने वाले उइगर मुसलमानों की जिन्दगी बद से भी बदतर बना कर रख दी है। दूसरे मुल्कों को मानवाधिकार का ज्ञान देने वाली चीनी कम्यूनिस्ट पार्टी अपने मुल्क में रहने वाले उइगर मुसलमानों पर जो जुल्म कर रही है, वो शर्मनाक है। जिसके विरूद्ध अब पूरे विश्व से आवाजें उठने लगीं हैं। ब्रिटेन, अमेरिका तथा कनाडा ने सीधे तौर पर चीन में चलाए जा रहे डिटेंशन कैंप को शर्मनाक और बर्बर करार देते हुए शिनजियांग के यातना कैंपों में बनाए जा रहीं वुस्तओं का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है।
शिनजियांग और तिब्बत में मानवाधिकारों पर शोध करने वाले कई संगठनों ने दावा किया है, उइगर मुसलमानों को यातना कैंप में जबरन रखा जाता है, और नसबंदी कर उनकी जनसंख्या पर लगाम लगाने की कोशिश की जाती है। उइगर मुसलमानों को यातना कैंप से निकलने की अनुमति नहीं होती है।
जर्मन एंथ्रोपॉलोजिस्ट और विक्टिम ऑफ कन्युनिज्म मेमोरियल फाउंडेशन में सीनियर फेलो एड्रियन जेंज ने अपनी रिसर्च और यूनाइटेड नेशंस की परिभाषा के अनुसार इसे जेनोसाइड यानि नरसंहार का मामला बताया है।
ब्रिटिश अखबर ‘गार्डियन’ ने बीते वर्ष चार सितंबर को अपनी रिपोर्ट में एक उइगर मुस्लिम महिला के हवाले से रिपोर्ट छापी थी, कि यातना कैंपों से उइगर मुसलमानों को निकलने की अनुमति नहीं होती है, महिलाओं को IUD (गर्भाधारण रोकने का गैजेट) लगाने को कहा जाता है, और यदि कोई महिला IUD लगाने से मना कर देती है, तो फिर उसपर भारी जुर्माना लगाया जाता है, चेतावनी दी जाती है और उनके साथ यौन शोषण किया जाता है।