बीजिंग॥ भारत से टकराव के बीच चीन को सबसे ज्यादा खौफ दौलत बेग ओल्डी स्थित दुनिया की सबसे ऊंची एयरस्ट्रिप से सता रहा है। इसीलिए अब चीनी सेना ने डीबीओ हवाई पट्टी से महज 20 किमी की दूरी पर अपनी एक नई पक्की पोस्ट बनाई है। चीन ने यह पोस्ट अपने इलाके झिंजियांग के होटन प्रान्त में 5,380 मीटर की ऊंचाई पर बनाकर पीएलए सैनिकों की तैनाती की है ताकि यहां से काराकोरम दर्रे, डीबीओ हवाई अड्डे और डेप्सांग प्लेन्स इलाके पर भारत की सैन्य गतिविधियों पर नजर रखी जा सके।
दरअसल चीनी सेना एलएसी यानि वास्तविक नियंत्रण रेखा को पश्चिम की तरफ धकेलना चाहती है ताकि डेप्सांग प्लेन्स में कुछ इलाकों उसका कब्जा बना रहे। भारत ने अप्रैल 2013 के फेसऑफ के करीब चार महीने बाद ही वायुसेना ने दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ) में 62 के युद्ध से बंद पड़ी 16,614 फीट की ऊंचाई पर अपनी हवाई पट्टी को भारतीय वायुसेना ने 20O8 में दोबारा शुरू किया ताकि एलएसी के पास इसका लैंडिंग ग्राउंड्स के रूप में इस्तेमाल किया जा सके।
वायुसेना ने यहां 2008 में एएन-32 सैन्य विमान तथा अगस्त 2013 में परिवहन विमान सी-130 जे-30 की लैंडिंग कराकर वायुसेना ने दुनिया की सबसे ऊंची एयरस्ट्रिप होने का खिताब हासिल किया था। दौलतबेग ओल्डी की एयर स्ट्रिप पर सी-17 ग्लोबमास्टर और हरक्यूलिस एयरक्राफ्ट को उतारने से भी चीन को बहुत बड़ा झटका लगा है।
यहीं से भारत-चीन सीमा के सामरिक दर्रे काराकोरम के बेहद करीब का इलाका है। यहां से चीन के कब्जे वाला अक्साई चिन क्षेत्र महज 07 किमी. दूर है। चीन का असली डर दौलतबेग ओल्डी में भारतीय एयरफोर्स का मौजूद होना ही है क्योंकि भारत दुनिया की सबसे ऊंची एयरस्ट्रिप से चीन को तुरंत पीट सकता है लेकिन चीन का वहां तक पहुंचना आसान नहीं है।
यानी सियाचिन में भारतीय सेना और दौलतबेग ओल्डी में एयरफोर्स मिलकर चीन को हर समय करारा जवाब देने के लिए हमेशा तैयार हैं। भारत के हिस्से में आने वाली जिस गलवान घाटी में भारत के 20 जवान शहीद हुए, वह दौलतबेग ओल्डी से लगभग 10 किलोमीटर नीचे ही है।
इसके अलावा बड़ी तादाद में सैनिक, गाड़ियां और स्पेशल एक्यूपमेंट इकट्ठा किया है। इस सबके बावजूद ऊंचाई पर कोई पोस्ट न होने से चीन की भारतीय गतिविधियों पर नजर रखने में दिक्कत होती थी। इसलिए अब पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने डीबीओ हवाई पट्टी से महज 20 किमी दूर 5,380 मीटर की ऊंचाई पर एक नई पोस्ट बनाकर सैनिकों की तैनाती की है।
चीन की यह पोस्ट झिंजियांग के होटन प्रान्त में बनाई है ताकि तीनों जगह भारतीय सैन्य गतिविधियों पर नजर रखी जा सके। बर्फीले दिनों में भी टिके रहने के मकसद से यह पोस्ट पूरी तरह पक्के निर्माण के साथ बनी है और ठण्ड से बचने के भी इंतजाम किये गए हैं।