नई दिल्ली। चीन ने कहा है कि उसकी विदेश नीति ‘वुल्फ वॉरियर’ की नहीं है। यह अवधारणा पश्चिम मीडिया ने दी है, जिसमें कोई सच्चाई नहीं है। भारत को इससे सावधान रहना चाहिए। भारत को ‘हीरो बनने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। यह बात कम्युनिस्ट पार्टी के अखबार ग्लोबल टाइम्स ने कही है। ग्लोबल टाइम्स का कोई भी कथन यह माना जाता है कि चीन की सरकार का कथन है।
शनिवार देर शाम ग्लोबल टाइम्स ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की , जिसमें यह मानते हुए कि भारत और चीन के बीच 1962 के बाद सबसे अधिक तनाव है। अखबार का कहना है कि भारत तर्कपूर्ण संवाद स्थापित करने के बजाय कुछ विदेशी मीडिया के भड़काने पर चीन के खिलाफ उकसावे वाली कार्रवाई कर रहा है। अखबार ने कहा कि पश्चिम के मीडिया भारत को चीन की वुल्फ वॉरियर डिप्लोमेसी के खिलाफ खड़ा होने वाले हीरो के रूप में पेश कर रहे हैं। वुल्फ वॉरियर डिप्लोमेसी का मतलब है भेड़िये की तरह चीन द्वारा आक्रामक होकर अपने पड़ोसियों पर गुर्राना।
अखबार ने प्रधानमंत्री मोदी के उस बयान को भी उद्धृत किया जिसमें मोदी ने सर्वदलीय बैठक के बाद कहा था कि ना तो कोई भारतीय सीमा का अतिक्रमण किया, ना कोई अभी कोई अतिक्रमण है। चीन का यह भी कहना है कि गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई हाथापाई और उसके बाद 20 भारतीय सैनिकों की शहादत केे बाद वह पूरी तरह संयम बरत रहा है, जबकि भारत चीन के प्रति आक्रामक हो रहा है।
ग्लोबल टाइम्स ने बाॅयकाट चाइना प्रोडक्ट और चीनी ऐप पर बैन का भी जिक्र किया है। चीन ने यह माना है कि हांगकांग के मामले में भी भारत चीन पर अंतरराष्ट्रीय दबाव डालने का प्रयास कर रहा है। चीन भारत के आक्रामक रवैये का पूरा श्रेय पश्चिम के मीडिया पर डाल रहा है।
ग्लोबल टाइम्स का कहना है कि कुछ पश्चिम के देश और मीडिया ने भारत को यह ग़लतफहमी पालने में सहायता की है कि उन्हें चीन के वुल्फ वॉरियर डिप्लोमेसी से लोहा लेने का उसका नैतिक अधिकार है। चीन ने कहा कि भारत को विदेशी डिप्लामेसी के बहकावे में नहीं आना चाहिए, क्योंकि इससे भारत का अपना नुकसान होगा।
चीन का यह भी कहना है कि पश्चिम भारत को सिर्फ जुबानी समर्थन दे रहा है। भारत यदि यह सोचता हैे कि इससे उसका कोई फायदा होने वाला है तो उसकी यह ग़लतफहमी है। भारत ने यदि कोई हिमाकत की तो चीन अपनी सुरक्षा और संप्रभुता की रक्षा करना अच्छी तरह से जानता है। दरअसल चीन इस बात से हतप्रभ है कि गलवान घाटी की झड़प के बाद भारत इतना आक्रामक रूख क्यों अपना रहा है।