नई दिल्ली। भारतीय नौसेना ने समुद्री सुरक्षा को मजबूत करने के लिए एक अमेरिकी कंपनी से सीधे दो सी-गार्जियन ‘अनआर्मड’ ड्रोन लीज पर लिए हैं। अमेरिकी प्रीडेटर ड्रोन नवम्बर के दूसरे सप्ताह में भारत पहुंचे और तमिलनाडु के आईएनएस राजाली में भारतीय नौसेना बेस पर उड़ान संचालन में शामिल किए गए। नौसेना ने समंदर में इंटेलीजेंस, सर्विलांस और परीक्षण के लिए यह ड्रोन लिए हैं। आने वाले दिनों में चीन के साथ तनाव के चलते इन ड्रोन्स को एलएसी पर तैनात किया जा सकता है।
दरअसल हाल ही में रक्षा मंत्रालय ने रक्षा खरीद पॉलिसी-2020 में बदलाव करके तीनों सेनाओं के लिए लीज पर हथियार लेने का प्रावधान किया था। उसी के तहत नौसेना ने इन दोनों सी-गार्जियन ‘अनआर्मड’ ड्रोन को अमेरिका से एक साल के लिए लीज पर लिए हैं। इसके बाद तीनों सेनाएं अमेरिका से ऐसे 18 और ड्रोन लेने की तैयारी कर रही हैं। लीज एग्रीमेंट के तहत अमेरिकी कंपनी केवल रखरखाव और तकनीकी मुद्दों में मदद करेगी। यह दोनों ड्रोन्स लेकर कंपनी के कुछ अधिकारी भारत में आए हैं लेकिन ड्रोन्स के ऑपरेशन्स पूरी तरह से नौसेना के पास होंगे। नवम्बर के दूसरे सप्ताह में भारत पहुंचे ड्रोन्स को नौसेना के तमिलनाडु स्थित आईएनएस राजाली बेस पर तैनात किया गया है। इसी बेस पर अमेरिका से लिए गए नौसेना के टोही विमान पी-8आई भी तैनात हैं।
पिछले महीने दिल्ली में भारत और अमेरिका की टू-प्लस-टू मीटिंग के दौरान दोनों देशों ने बीईसीए यानि बेसिक एक्सचेंज एंड कॉपरेशन एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किए थे जिसका मकसद अमेरिका से ड्रोन लेना ही था। सी-गार्जियन ड्रोन्स बनाने वाली कंपनी जनरल एटोमिक्स का दावा है कि यह सबसे नए यूएवी में से एक है और यह करीब 40 घंटे तक आसमान में निगरानी रख सकता है। कम्पनी का यह भी कहना है कि ये ड्रोन्स पी-8आई विमानों के साथ मिलकर बेहतर काम करते हैं। भारत ने पहले ही चीन के साथ तनाव के चलते एलएसी पर नौसेना के टोही विमान पी-8आई तैनात कर रखे हैं, इसलिए उम्मीद जताई जा रही है कि इन ड्रोन्स को एलएसी पर तैनात किया जा सकता है।