नई दिल्ली, 06 सितम्बर । लद्दाख में भारत के साथ गतिरोध शुरू होने के बाद से चीन अपनी सैन्य लॉजिस्टिक सुविधाएं बढ़ा रहा है। इसी के तहत लद्दाख के पास होटन एयरबेस और तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र के ल्हासा गोंगगर हवाई अड्डा को पूरी तरह अपग्रेड किया गया है।
वहीँ होटन एयरबेस पर नई हवाई पट्टियां बनाने के साथ ही लड़ाकू विमानों के नए हैंगर बनाये गए हैं और भारी मात्रा में गोला-बारूद इकठ्ठा करने के लिए डिपो का निर्माण किया गया है। ल्हासा गोंगगर हवाई अड्डा को सैन्य एयरबेस में बदलकर पहाड़ी के बीच लड़ाकू विमान छिपाने के लिए नए बंकर बनाए गए हैं, जहां एक साथ लगभग 36 विमान रखे जा सकते हैं।
होटन एयरबेस से एलएसी के आसपास इलाके को और ल्हासा गोंगगर हवाई अड्डा से भारत के पूर्वी क्षेत्र को घेरे में लेने की तैयारी हैं।
नवीनतम उपग्रह चित्र दिखाते हैं कि पूर्वी लद्दाख में चीन के निकटतम आधार होटन एयरबेस में दो नई हवाई पट्टियों के निर्माण कार्य में तेजी आई है। इस एयरबेस को अपग्रेड करने का काम जून के अंत में शुरू किया गया था।
होटन एयरबेस भारतीय इलाके काराकोरम दर्रे से 250 किमी. उत्तर-पूर्व में और पैंगोंग झील के फिंगर-4 एरिया से 380 किमी. दूर है। इस एयरबेस से पूर्वी लद्दाख में एलएसी के आसपास के इलाके को घेरे में लेने की तैयारी है, इसीलिए यहां गोला बारूद इकट्ठा करने के लिए कई इमारतों का भी निर्माण किया गया है।
लड़ाकू विमानों की तैनाती करने के लिए नए हैंगर बनाये गए हैं। कुछ इमारतों को पीएलए रॉकेट फोर्स और मिसाइलों के लिए अपग्रेड किया गया है। इस एयरबेस में 60 मीटर की चौड़ाई के साथ दोहरे उपयोग वाला 3,330 मीटर लंबा रनवे है। नवीनतम उपग्रह चित्र स्पष्ट रूप से दिखाते हैं कि दो नई हवाई पट्टियों को अपग्रेड करने का काम जून के अंत में शुरू हुआ।
जुलाई के महीने में यहां गोला-बारूद भंडारण के लिए विशाल डिपो तैयार किया गया। यहां कई अन्य इमारतों का निर्माण कार्य अभी भी चल रहा है। उपग्रह चित्रों से पता चलता है कि तैयार की गई नई हवाई पट्टियों में एक 4 किमी. लम्बी और दूसरी लगभग 60 मीटर चौड़ाई की वर्तमान हवाई पट्टी के दक्षिण में बनाई गई है।
पुरानी और नई हवाई पट्टियों के बीच की दूरी इतनी है कि शायद इसके बीच में टर्मिनल भवन बनाए जाने की योजना है। यहां गोला बारूद का भंडारण करने के लिए इमारतों को बनाये जाने का मकसद युद्ध की तैयारी के रूप में देखा जा रहा है क्योंकि चीन का यह एयरबेस एलएसी के नजदीक है। साथ ही नए हैंगर बनाए जाने का मतलब यहां लड़ाकू बमवर्षक विमानों और जे-20 विमानों की स्थायी तैनाती करना है।