हिंदुस्तान और नेपाल के रिश्‍ते मजबूत होने से चीन को लगेगा ये बड़ा झटका, जानकर हैरान रह जाएंगे आप

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नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप कुमार ग्‍यावली इस माह के मध्‍य में हिंदुस्तान की यात्रा पर आने वाले हैं। ग्‍यावली का यात्रा ऐसे वक्त में हो रही है जब उनके अपने देश में राजनीतिक उठा-पठक मची हुई है और हिंदुस्तान के साथ रिश्‍तों को एक नया स्‍वरूप देने की कोशिशें की जा रही हैं। ग्‍यावली इस हिंदुस्तान यात्रा पर अपने हिंदुस्तानी समकक्ष एस जयशंकर के साथ हिंदुस्तान-नेपाल ज्‍वॉइन्‍ट कमीशन की मीटिंग में हिस्‍सा लेंगे। ग्‍यावली के साथ एक हाई-प्रोफाइल प्रतिनिधिमंडल भी हिंदुस्तान आने वाला है।

INDIA NEPAL

ये प्रतिनिधिमंडल कालापानी-लिपुलेखी बॉर्डर इश्‍यू पर चर्चा कर सकता है। हिंदुस्तान आने से पहले ग्‍यावली पहले ही कह चुके हैं कि कोरोना वैक्‍सीन के लिए उन्‍हें चीन से अधिक हिंदुस्तान पर भरोसा है। इसके अलावा पिछले तीन माह में हिंदुस्तान और नेपाल के रिश्‍तों में सुधार आया है और इसे देखकर चीन के माथे पर बल पड़ गए हैं।

20 दिसंबर को नेपाल में उस समय बड़ा राजनीतिक संकट पैदा हो गया है जब प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने फैसला किया कि वह अपनी पार्टी, नेपाल कम्‍युनिस्‍ट पार्टी (एनसीपी) के विद्रोह धड़े के साथ काम नहीं करेंगे। ओली ने साल 2018 में सत्‍ता संभाली थी और दो साल के अंदर ही उन्‍होंने संसद को भंग करने का फैसला कर लिया। इसके बाद अब देश फिर से चुनावों की तरफ बढ़ गया है। विदेशी राजनयिकों की मानें तो चीन ओली के इस कदम से हैरान है।

चीन को इस बात की चिंता सता रही है कि नेपाल का राजनीतिक संकट और हिंदुस्तान के साथ बेहतर होते रिश्‍ते राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग के फेवरिट बेल्‍ट एंड रोड प्रोजेक्‍ट्स को खतरे में डाल सकते हैं। जिनपिंग ने अपना दूत भी नेपाल भेजा था मगर कोई फायदा नहीं हुआ। ओली की सरकार के सात मंत्रियों ने इस्‍तीफा दे दिया। ये मंत्री इस बात से नाराज हैं कि ऐसे समय में जब अर्थव्‍यवस्‍था को कोरोना वायरस से थोड़ी राहत मिलनी शुरू हुई तो देश में विरोध प्रदर्शनों का सिलसिला शुरू हो गया है।

हिंदुस्तान और नेपाल के रिश्‍तों ने लिया टर्न

हिंदुस्तान और नेपाल के रिश्‍ते सन् 2020 में गर्त में पहुंच गए थे। मई माह में नेपाल ने नया नक्‍शा जारी कर दिया था। इसमें उसने कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा को अपने हिस्‍से में बताया था। जिस क्षेत्र पर नेपाल ने दावा पेश किया है वह करीब 335 स्‍क्‍वॉयर किलोमीटर के इलाके में फैला है। हिंदुस्तान और नेपाल के बीच यह अकेला बॉर्डर है जो विवादित है। मगर नवंबर माह में इंडियन आर्मी चीफ जनरल एमएम नरवाणे जब नेपाल की यात्रा पर गए तो स्थितियां बदलती हुई नजर आने लगीं।

अब जबकि ग्‍यावली हिंदुस्तान की यात्रा पर आ रहे हैं तो सूत्रों की ओर से दावा किया जा रहा है कि वह सीमा विवाद पर विदेश सचिव स्‍तर की वार्ता का प्रस्‍ताव दे सकते हैं, जो कि साल 2014 से अटकी है। उस वर्ष प्रधानमंत्री नेपाल की यात्रा पर गए थे और उन्‍होंने इस वार्ता का वादा किया था।

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