भारत के सामने निकल गईं चीन की हेकड़ी, 94 दिन बाद ये बात मानने को हुआ मजबूर

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बीजिंग॥ अभी हाल ही में गलवान वैली में मारे गए चीनी फौजियों के अंतिम संस्कार को करने से भी इंकार कर रही थी। क्योंकि वह विश्व को जताना नहीं चाहती थी कि उसके फौजी मारे नहीं गए हैं। मगर अब चीन की सरकार ने 94 दिन बाद पहली बार ये बात मान ली है कि जून में गलवान घाटी की झड़प में उसके फौजियों की भी मौत हुई थी।

China President Xi Jinping

चीनी न्यूज पेपर ग्लोबल टाइम्स के चीफ ने माना है कि गलवान वैली में चीन की आर्मी को नुकसान पहुंचा था। कुछ फौजियों की जान गई थी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के एक बयान को ट्वीट कर लिखा कि जहां तक मुझे पता है कि गलवान वैली की झड़प में चीनी आर्मी में मरने वालों की संख्या हिंदुस्तान के 20 के आंकड़े से कम थी। इतना ही नहीं कोई भी चीनी जंगजू हिंदुस्तान ने बंदी नहीं बनाया था, बल्कि चीन ने हिंदुस्तान के फौजियों को कैदी बनाया था।

दुश्मन देश ड्रैगन ने इस बात को तब कबूला है, जब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को राज्यसभा में चीन सीमा पर जारी तनाव की सूचना देश को दी। भारतीय रक्षामंत्री ने कहा कि हिंदुस्तान सभी नियमों और समझौतों का पालन कर रहा है, लेकिन चीन की ओर से बार-बार इनका उल्लंघन किया जा रहा है।

चीन छिपाना चाहता है ये बात

दुश्मन देश ड्रैगन को डर है कि यदि गलवान वैली में मारे गए चीनी जंग-जूओं की सूचना चीन के या इंटरनेशनल मीडिया में फैली तो पूरे देश में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की बदनामी हो जाएगी। इसलिए वो अपने फौजियों के अंतिम संस्कार को भी छिपाकर रखना चाहते हैं। हालांकि, चीन के लोगों के बीच गलवान घाटी की खबर तेजी से फैल चुकी है।

दुश्मन देश ड्रैगन के लोग हिंदुस्तानीय जवानों का ससम्मान अंतिम संस्कार देखकर आपसे में ये बातें कर रहे हैं कि चीन के सैनिकों का क्या हुआ। चीन के मारे गए सैनिकों को इस तरह का सम्मान क्यों नहीं दिया गया। इस पर चीन की सरकार का जवाब ये है कि महामारी के समय में सरकार ने अंतिम संस्कार के पारम्परिक रीति-रिवाजों को रोक रखा है।

पूरे विश्व के जानकार मानते हैं कि चीन की यह चुप्पी और शांति से अंतिम संस्कार करने को कहना ये बताता है कि जल्द ही चीन अंतिम संस्कार के नए कानून ला देगा। बीजिंग में बैठी सरकार नहीं चाहती कि चीन के लोगों को गलवान घाटी में उसकी करतूतों का पता चले।

 

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