धनतेरस के दूसरे दिन छोटी दिवाली का पर्व मनाया जाता है। हिन्दू पंचांग में इसे नरक चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है। नरक शब्द पौराणिक कथाओं में वर्णित दैत्य राजा नरकासुर से जुड़ा हुआ है और चतुर्दशी का अर्थ है चौदहवां दिन। छोटी दिवाली हर बार कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है।
छोटी दिवाली कब है?
इस वर्ष छोटी दिवाली का त्योहार 3 नवंबर को मनाया जाएगा। ये दिवाली से एक दिन पहले होता है।
शुभ मुहूर्त
छोटी दीवाली के दिन हिन्दु समुदाय के लोग पूजा-पाठ व धार्मिक अनुष्ठान करते हैं। इस बार छोटी दिवाली पर पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 09:02 बजे से अगले दिन सुबह 06:03 बजे तक है। स्नान या अभयंगा स्नान का समय सुबह 5 बजकर 40 मिनट से 6 बजकर तीन मिनट तक रहेगा। कहते हैं इस पवित्र स्नान से इंसान की आत्मा शुद्ध होती है और मौत के बाद नरक की यातनाओं से निजात मिलती है।
पूजा विधि
नरक चतुर्दशी के दिन लोग भगवान कृष्ण, काली माता, यम और हनुमान जी की विधि विधान से पूजा करते हैं।मान्यता है कि इस दिन पूजा करने से आत्मा की शुद्धि होती है और पूर्व में किए गए पापों का नाश होता है। कुछ स्थानों पर छोटी दिवाली के दिन नरकासुर का पुतला दहन किया जाता है।
छोटी दिवाली इतिहास और महत्व
pauranik कथाओं के अनुसार नरकासुर ने वैदिक देवी अतिथि के सम्राज को हड़प लिया था। इसके बाद उसने बहुत सी महिलाओं को प्रताड़ित किया था और उन्हें बंदी बना लिया था नरकासुर के खिलाफ भगवान कृष्ण और सत्यभागा में संघर्ष किया और उसे मार गिराया। वहीं नॉर्थ ईस्ट इलाके लोगों का मानना है कि नरकासुर का वध काली देवी ने किया था। यही वजह है कि छोटी दिवाली के दिन काली मां की पूजा भी की जाती है।