दुनिया के वो शहर जो आधुनिक संसाधनों का प्रयोग कर के बन गए क्लीन-ग्रीन

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आज पूरी दुनिया में प्रदूषण बड़ी समस्या है. इस समस्या से दुनिया भर में करीब 10 करोड़ लोग हर साल प्रभवित होते है. विश्व स्वस्थ संगठन रिपोर्ट्स के अनुसार दुनिया के हर 10 देशो में 9 देश ऐसे है, जिनकी 92 प्रतिशत आबादी इस समय प्रदूषित हवा में सांस ले रहीं हैं.

इस रिपोर्ट के अनुसार वायु प्रदूषण विश्व की चौथी ऐसी समस्या है, जो इंसान के स्वास्थ को असर कर रही है. हालांकि कुछ ऐसे भी मुल्क है, जिन्होंने मॉडर्न टेक्नोलॉजी का प्रयोग कर, प्रदूषण को न्यूनतम स्तर पर लाने की कोशिश में कामयाब रहें हैं.

आपको बता दें कि ग्रीन पीस और स्विट्ज़रलैंड की कंपनी आईक्यूएयर विजुअल प्रदूषित शहरों की रैंकिंग जारी की है. भारत दुनिया के तीसरे सबसे ज्यादा प्रदूषित देश के रूप में सामने आया है. वहीं विश्व के 21 सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों में भारत के 16 शहर हैं. इनमें दिल्ली पहले, गाजियाबाद दूसरे, नोएडा छठे और यूपी की राजधानी लखनऊ नौवें स्थान पर है.

एक ऐसी महिला ट्रक ड्राइवर, जो पिछले 15 साल से भारत की सड़को पर कर रही है राज

2018 में क्षेत्रीय स्तर पर जुटाए गए एयर क्वालिटी इंडेक्स के आंकड़ों के आधार पर यह रैंकिंग की गई. आइए जानते है कि कौन-कौन से देश मडर्न टेक्नोलॉजी का उपयोग कर अपने वहां प्रदूषण काम करने में सफल रहे हैं.

हैम्बर्ग जर्मनी का एक बंदरगाह है, बताया जाता है कि ये जर्मनी का सबसे बड़ा और यूरोप का दूसरा बड़ा बंदरगाह है. बता दें कि यहां बंदरगाह में बिजली पैदा करने के लिए जहाजों के लिए समुद्री ईंधन जलाने से वहां की हवा की क्वालिटी बेहद खराब हो गई थी. जिसके लिए उन्होंने Siemens कंपनी से जुड़कर बंदरगाह पर जहाजों के जनरेटर बंद कराने की व्यवस्था कर ली. अब वे बिजली mainland से लेते हैं.

ओकलैंड (oakland), दुनिया का एकमात्र शहर है, जहां शहरी सीमा के भीतर एक प्राकृतिक खारे पानी की झील है. गौरतलब है कि यहां प्रदूषण को मैप करने के लिए सेंसर का उपयोग किया जा रहा है. यहां पर एम्बेडेड सेंसर वाली Google कारें 2015 में वेस्ट ओकलैंड की सड़कों पर चलाई गईं. वहां की मैपिंग में पाया प्रदूषण का स्तर हर रास्ते पर अलग होता है.

मैनचेस्टर 2040 तक खुद को कार्बन न्यूट्रल(एक ऐसा प्रोसेस है जिसमे व्यवसायों, संगठनों पर ज़िम्मेदारी होती है कि वो वातावरण में मौजूद कार्बन को काम करें) बनाने का प्लान है. इस प्लान को पूरा करने में यूके सरकार दवारा सभी डीजल और गैस की नई कारों को बैन का प्लान है. वहां के आधे वाहन 2030 तक हाइब्रिड या इलेक्ट्रिक वाले होंगे.

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