कलेक्टर ने कहा-कानूनी कार्रवाई करेंगे तो डॉक्टर ने किया ये काम और दे दिया त्यागपत्र

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उज्जैन। शा.माधवनगर अस्पताल में एक डॉक्टर जोकि पिछले डेढ़ वर्ष से सतत सेवा दे रहा है,उसे बगैर कारण हॉस्पिटल की अंदरूनी राजनीति के कारण कलेक्टर से नोटिस दिलवाया गया। नोटिस में लिखा था कि  क्यों न आपके खिलाफ प्रकरण दर्ज किया जाए? हालांकि डॉक्टर ने अपनी सफाई दी,जिसमें वह स्पष्ट रूप से गलती पर नहीं था। उसने जो कारण बताए,उसका जवाब हॉस्पिटल के जिम्मेदारों के पास नहीं है।
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नोटिस में यह कहा

यहां कार्यरत डॉक्टर को कलेक्टर के मार्फत नोटिस दिया गया। इसमें कहा गया कि न्यू आयसीयू में उन्होंने एक सामान्य मरीज को बिना प्रभारी अधिकारी एवं सक्षम अनुमति के क्यों भर्ती किया? इस कारण से गंभीर मरीज को  पलंग नहीं मिल पाया? यह महामारी अधिनियम-1987 की धाराओं का उल्लंघन है। आपके विरूद्ध अत्यावश्यक सेवा संधारण एवं विच्छिन्नता निवारण अधिनियम -1979 की धारा 7(1),आपदा प्रबंधन अधिनियम-2005 की धारा 56 एवं महामारी अधिनियम-1897 की धारा 3 के तहत प्रावधानों के साथ-साथ भादंवि संहिता 1860 की धारा 188,269 एवं 270 के तहत विधिक कार्रवाई एवं सेवा समाप्ति की कार्रवाई की जाएगी।

यह जवाब दिया डॉक्टर ने

डॉक्टर ने जवाब में लिखा कि एक मरीज को डॉ.संजीव कुमरावत के निर्देश पर पीटीएस भेजा गया था। वहां 45 मिनिट इंतजार करने के बाद यह कहकर कि पीटीएस में स्ट्रेचर एवं व्हीलचेयर नहीं है, मरीज को वापस शा.माधवनगर अस्पताल भेज दिया गया। वापसी में मरीज इतना घबराया हुआ था कि उसकी ऑक्सीजन का प्रतिशत 50 रह गया था। अत: मरीज को आयसीयू में लिया गया। डॉक्टर होने के नाते जान बचाना मेरा कर्तव्य था। यह व्यक्ति ज्ञान प्रकाश नहीं था। ज्ञान प्रकाश की जानकारी माननीय कलेक्टर महोदय को दी गई है,वह पूर्णत: असत्य है। मेरे विरूद्ध द्वेषपूर्ण जानकारी माननीय महोदय को दी गई है। मैं अपना त्याग पत्र देने को तैयार हूं।
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