महाराष्ट्र में 24 अक्टूबर को जब विधानसभा चुनाव के नतीजे आए तो किसी ने अनुमान नहीं लगाया था कि शिवसेना और भाजपा की सरकार बनने में कोई दिक्कत आएगी। लेकिन, चूंकि राजनीति अनिश्चितताओं का खेल है, इस लिए नतीजा आने के 13 दिन बीतने के बाद भी सरकार नहीं बन सकी है। मुख्यमंत्री पद को लेकर शिवसेना और भाजपा दोनों ही अड़े हुए हैं। इस बीच, कांग्रेस और राकांपा के नेता राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मिले हैं। इस मुलाकात को शिवसेना के साथ मिल कर सरकार गठित करने से जोड़ कर देखा जा रहा है।
विधानसभा का कार्यकाल 9 नवंबर तक ही है। ऐसे में नई सरकार के गठन की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है। अगले 72 घंटे राज्य की सियासत के साथ ही देवेंद्र फडनवीस और उद्धव ठाकरे के लिए अहम हैं। सरकार गठन पर शिवसेना से चल रही रस्साकशी के बीच भाजपा अब राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की शरण में गई है। मंगलवार देर रात फडनवीस ने संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत से इस मसले पर विचार मंथन किया।
इस दौरान केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी भी मौजूद रहे। माना जाता है कि मोहन भागवत और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के बीच बेहद मधुर संबंध हैं। सूत्रों के मुताबिक फडनवीस ने भागवत से सरकार गठन पर शिवसेना को मनाने के लिए कहा है।
सूत्रों के मुताबिक डील के तहत भाजपा चार अहम मंत्रालयों में से दो शिवसेना को देने को तैयार है, हालांकि मुख्यमंत्री पद पर वह अब भी अड़ी हुई है। विधानसभा चुनाव से पहले शिवसेना में शामिल होने वाले किशोर तिवारी ने मोहन भागवत को लिखी चिट्ठी में कहा है कि इस मामले में संघ की चुप्पी से जनता नाराज है। तिवारी ने अपने खत में लिखा कि नितिन गडकरी को बातचीत की जिम्मेदारी सौंपी जाए। वह दो घंटे के अंदर इस स्थिति को सुलझा लेंगे। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे को पहले 30 महीने के लिए मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है और फिर बचे हुए कार्यकाल के लिए भाजपा फैसला कर सकती है।
इससे साफ है कि अब भी शिवसेना पहले अपना सीएम चाहती है। इन सबके बीच शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत ने बुधवार सुबह एक ट्वीट करते हुए इशारों में भाजपा पर फिर हमला बोला। राउत ने ट्वीट किया-जो लोग कुछ भी नहीं करते हैं, वे कमाल करते हैं। दरअसल संघ से जुड़े अखबार तरुण भारत में उद्धव ठाकरे और संजय राउत को निशाने पर लिया गया था। अखबार के संपादकीय में उद्धव और राउत की जोड़ी को विक्रम-बेताल की जोड़ी बताया गया था।