नई दिल्ली ।। वेस्ट बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले में घरों में काम करने वाली एक महिला सड़क पर भटकती मिली। जब स्थानीय लोग उसकी सहायता के लिए आगे आए तो महिला ने बताया कि जिस घर में वह काम करती थी उन लोगों ने कोविड-19 जैसे लक्षण होने के बाद उसे हटा दिया है। हालांकि पुलिस ने जब छानबीन की तो मामला कुछ और ही निकला।
महिला के दावे के विपरीत पुलिस का बयान कुछ और कहानी बयां कर रहा है। रबींद्र सरोवर इलाके के पुलिसकर्मियों के अनुसार, महिला ने खुद ही काम छोड़ दिया था। पुलिस के अनुसार, महिला ने कहा था कि उसकी तबीयत सही नहीं है और उसमें कोरोना से मिलते-जुलते लक्षण दिख रहे थे। पुलिसकर्मियों के अनुसार, महिला एक शख्स से मिलना चाहती थी और इसी वजह से उसने पूरी कहानी गढ़ी है।
एक पुलिस अफसर ने बताया, ‘उसने खुद ही काम पर जाना बंद कर दिया। हमारे पास फोन आने के बाद हमने उसे ढूंढा। इसके बाद उसका टेस्ट कराने के लिए ले गए। चिकित्सकों ने उसके CORONA_VIRUS से बीमार होने की संभावनाओं को खारिज किया। वह शायद अपने दोस्त से मिलने के लिए बेसब्र थी। इसी वजह से उसने स्थानीय लोगों के पूछने पर कोरोना की कहानी रच दी।’
सूत्रों के अनुसार, एक झुग्गी बस्ती के लोगों ने उसे भटकते हुए देख परेशानी की वजह पूछी। इसके बाद उन लोगों ने पुलिस और केएमसी को सूचना दी। झुग्गी में रहने वाले लोगों ने फिलहाल महिला को शरण देने का फैसला लिया है। एक शख्स ने बताया, ‘हमने उसके खाने और रहने का इंतजाम कर दिया है।’
झुग्गी बस्ती में रहने वाले लोगों के अनुसार, लॉकडाउन की घोषणा के बाद जहां वह काम करती थी उस घर के मालिक ने उससे पांडित्य रोड इलाके में ही रुकने का दबाव डाला। झुग्गी की निवासी मामोनी दास ने बताया कि ये उनका अधिकार नहीं था।