हद से ज्यादा चालाक निकला CORONA VIRUS, हिंदुस्तान आकर खुद में कर लिया ये बदलाव!

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देहरादून ।। CORONA__VIRUS चीन के वुहान से निकलकर अब पूरे संसार में फैल चुका है। इसने लाखों को मौत के घाट उतार चुका है। विश्वभर के डॉक्टर्स इसे रोकने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। साइंटिस्ट कई महीनों से इस नए वायरस पर रिसर्च कर रहे हैं ताकि इसकी वैक्सीन बनाई जा सके। इस बीच एक ऐसी रिसर्च सामने आई है जो इन साइंटिस्टों के लिए परेशानी का सबब बन सकती है।

ऑस्ट्रेलिया और ताइवान के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए शोध में कुछ हैरान कर देने वाली बातें सामने आई हैं। शोधकर्ताओं के अनुसार, CORONA__VIRUS हिंदुस्तान में अपना स्वरूप बदल रहा है जिसकी वजह से दुनिया भर में वैक्सीन को लेकर की जा रही वैज्ञानिकों की मेहनत पर पानी फिर सकता है। नए शोध के अनुसार, CORONA__VIRUS में नया बदलाव देखा गया है। यह बदलाव वायरस के स्पाइक प्रोटीन के हिस्से में देखा गया है। बता दें कि स्पाइक प्रोटीन के जरिए वायरस शरीर की कुछ कोशिकाओं को जकड़ कर रखता है।

CORONA__VIRUS की कंटीली संरचना ही ACE2 एंजाइम युक्त कोशिकाओं को निशाना बनाती है। ACE2 एंजाइम फेफड़ों में पाया जाता है। वैज्ञानिकों को अब तक यही जानकारी थी और वे ऐसी एंटीबॉडीज पर काम कर रहे थे जो CORONA__VIRUS से लड़ने में सक्षम हो। लेकिन अचानक वायरस की संरचना में बदलाव होने से वैज्ञानिकों को नए सिरे से मेहनत करनी पड़ सकती है।

चीन के नेशनल चेंग्गुआ यूनिवर्सिटी ऑफ एजुकेशन के वी-लुंग वांग और ऑस्ट्रेलिया में मर्डोक विश्वविद्यालय के सहयोगियों ने किया है. शोधकर्ताओं का कहना है कि CORONA__VIRUS के रूप बदलने पर ये पहली रिपोर्ट है जिससे वैक्सीन की खोज पर खतरा मंडरा सकता है। biorxiv.org पर प्रकाशित हुई शोध में इस बात की चेतावनी दी गई है कि Sars-CoV-2 अपने रूप बदल-बदल कर सामने आ सकता है।

संभव है कि इस वायरस की वर्तमान में बन रही वैक्सीन बेकार हो जाए। हैरान कर देने वाला ये मामला हिंदुस्तान के केरल राज्य से था। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी ने जनवरी के महीने में इस मरीज का सैंपल लिया था। इस मरीज का जीनोम अनुक्रमण (Genome Sequencing) पिछले महीने अंतरराष्ट्रीय स्तर के वैज्ञानिकों के साथ साझा किया गया। हालांकि इस देरी पर भी कुछ डॉक्टर्स ने सवाल उठाए थे।

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शोधकर्ताओं ने पाया कि यह परिवर्तन स्पाइक प्रोटीन के रिसेप्टर-बाइंडिंग डोमेन (RBD) में हुआ। कंप्यूटर सिमुलेशन से पता चलता है कि आरबीडी में ये बदलाव, जो विश्व भर में कहीं और नहीं पाया गया है, स्पाइक प्रोटीन से हाइड्रोजन बॉन्ड को अलग कर सकता है। इस हाइड्रोजन बॉन्ड के बिना, हो सकता है कि वायरस फेफड़ों में पाए जाने वाले ACE2 या एंजियोटेंसिन परिवर्तित एंजाइम -2 के साथ अपनी पकड़ मजबूत नहीं करे। यानी CORONA__VIRUS के अटैक करने का तरीका बदल सकता है।

जानकारी के मुताबिक, जनवरी की शुरुआत में पहले मामले की पहली पुष्टि होने से लेकर अब तक ये वायरस अंटार्कटिका को छोड़कर सभी महाद्वीपों में पहुंच चुका है और अब तक इसके 3,500 से अधिक बदलाव दर्ज किए जा चुके हैं। यूएस और चीन में कुछ वैक्सीन का क्लीनिकल ट्रायल शुरू हो चुका है लेकिन CORONA__VIRUS के आरडीबी में चेंजेस की वजह से इन वैक्सीन को लेकर अनिश्चितता बढ़ गई है।

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