नई दिल्ली॥ तेल निर्यातक देशों के संगठन (OPEC) और उसके सहयोगी तेल उत्पादक देशों ने क्रूड ऑयल (कच्चा तेल) के उत्पादन में जून महीने के दौरान भी कटौती जारी रखने का निर्णय लिया है।
OPEC और उसके सहयोगी देशों का ये फैसला कच्चे तेल की अपनी आवश्यकता पूरा करने के लिए इंटरनेशनल मार्केट पर निर्भर रहने वाले इंडिया जैसे देशों के लिए काफी भारी पड़ने वाला है। OPEC और उसके सहयोगी देशों के फैसले के कारण इंटरनेशनल मार्केट में क्रूड ऑयल की कीमत में एक बार फिर तेजी का रुझान बनने लगा है।
इस वजह से भारत में पेट्रोल और डीजल के दाम में और भी बढ़ोतरी होने के आसार बन गए हैं। अभी भी भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमत रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच चुकी है। मगर जिस तरह से इंटरनेशनल मार्केट में कच्चे तेल की कीमत में निरंतर बढ़ोतरी हो रही है, उससे भारत में पेट्रोल और डीजल कीमत में और बढ़ोतरी होने का अनुमान लगाया जा रहा है।
इंटरनेशनल मार्केट में कच्चे तेल की कीमत आज 70 डॉलर प्रति बैरल के स्तर को पार कर गई है। जानकारों का कहना है कि जिस तरह से यूरोपीय देशों में पेट्रोलियम उत्पादों की मांग बढ़ी है, उससे कच्चे तेल की कीमत आने वाले कुछ दिनों में प्रति बैरल 73 डॉलर से भी अधिक हो सकती है।
इसके कारण कच्चे तेल की मांग में बढ़ोतरी होने लगी है। उल्लेखनीय है कि कोरोना संक्रमण के कारण पिछले साल जून के महीने में कच्चे तेल की मांग काफी गिर गई थी। ठीक 1 साल पहले 2 जून 2020 को इंटरनेशनल मार्केट में कच्चा तेल 40 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर ट्रेड कर रहा था मगर अब जैसे-जैसे तमाम देशों की अर्थव्यवस्था खुलने लगी हैं और पाबंदी हटाई जा रही हैं, वैसे-वैसे हर देश में पेट्रोल और डीजल की मांग भी बढ़ने लगी है।
इसकी वजह से इंटरनेशनल मार्केट में कच्चे तेल की मांग भी निरंतर बढ़ती जा रही है। अमेरिका समेत यूरोपीय देशों और एशिया के कई देशों में जनजीवन काफी हद तक सामान्य हो चुका है। ऐसे देशों में पेट्रोलियम उत्पादों की मांग बढ़ती जा रही है। दूसरी ओर तेल निर्यातक देशों के संगठन OPEC और उसके सहयोगी देशों ने जुलाई के पहले कच्चे तेल के उत्पादन में बढ़ोतरी करने से साफ इनकार कर दिया है।
OPEC और उसके सहयोगी देश जून के महीने में भी कच्चे तेल के उत्पादन में कटौती करने के अपने पुराने फैसले पर अडिग हैं, जिसकी वजह से डब्लूटीआई क्रूड अपने 2 साल के सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गया है। वहीं ब्रेंट क्रूड भी 3 महीने की सबसे ऊंचे स्तर पर है। OPEC और उसके सहयोगी देशों का कहना है कि जुलाई के महीने से कच्चे तेल के उत्पादन में धीरे-धीरे बढ़ोतरी की जाएगी, क्योंकि तब तक कच्चे तेल का ग्लोबल सरप्लस खत्म हो चुका होगा। उम्मीद की जा रही है कि जुलाई से OPEC और उसके सहयोगी देश कच्चे तेल के उत्पादन में 21 लाख बैरल तक की बढ़ोतरी कर सकते हैं।
दरअसल कच्चे तेल की कीमत में बढ़ोतरी होने के कारण भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमत रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई है। पिछले 1 साल की बात की जाए तो 2 जून 2020 को इंटरनेशनल मार्केट में कच्चा तेल 40 डॉलर प्रति बैरल के हिसाब से ट्रेड कर रहा था। वहीं भारत की राजधानी नई दिल्ली में 2 जून 2020 को पेट्रोल 71.26 रुपये और डीजल 69.39 रुपये प्रति लीटर के भाव पर बिक रहा था।
ऐसे में भारत में भी इस महीने पेट्रोल और डीजल की कीमत में कमी होने की दूर-दूर तक कोई संभावना नहीं है। इसलिए जब तक तेल उत्पादक देश कच्चे तेल का उत्पादन नहीं बढ़ाते हैं, तब तक न तो इंटरनेशनल मार्केट में कच्चे तेल की कीमत में कोई कमी होने की उम्मीद है और ना ही भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमत में कटौती होने की कोई भी आशा है।