Cruise Drug Case: सार्वजनिक हुआ आर्यन खान का Bail 0rder, HC ने कहा- ‘साजिश साबित करने के लिए साक्ष्य नहीं है’

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मुंबई। क्रूज ड्रग केस में फंसे बॉलीवुड के सुपरस्टार शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान को बीते 28 अक्टूबर को जमानत मिल गयी थी। आर्यन को करीब 26 दिन हिरासत में रखा गया था। आज यानी शनिवार को आर्यन खान को बॉम्बे हाईकोर्ट से मिली जमानत का ऑर्डर सार्वजनिक कर दिया गया।

AARYAN KHAN

जमानत का ऑर्डर में बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा है कि आर्यन खान के मोबाइल फोन से लिए गए व्हाट्सऐप चैट से पता चलता है कि ऐसा कुछ आपत्तिजनक नहीं पाया गया जो दिखाता हो कि उन्होंने, मर्चेंट, धमेचा और मामले के अन्य आरोपियों ने अपराध करने की कोई साजिश रची हो। साथ ही ये भी कहा गया है कि एनडीपीएस अधिनियम की धारा 67 के तहत स्वापक नियंत्रण ब्यूरो (एनसीबी) ने आर्यन खान का जो स्वीकृति बयान दर्ज किया है उस पर सिर्फ जांच के मकसद से गौर किया जा सकता है। साथ ही उसका इस्तेमाल यह निष्कर्ष निकालने के लिए हथियार के तौर पर नहीं किया जा सकता कि आरोपी ने एनडीपीएस अधिनियम के अंतर्गत कोई भी अपराध किया है।

सकारात्मक साक्ष्य रिकॉर्ड में नहीं

14 पन्नों वाले बेल आर्डर में आदेश में हाईकोर्टने कहा, ‘ऐसा कोई भी सकारात्मक साक्ष्य रिकॉर्ड में नहीं है जो कोर्ट को इस बात पर राजी कर सके कि समान मंशा वाले सभी आरोपी गैरकानूनी कृत्य करने के लिए राजी हो गए।’ बॉम्बे हाईकोर्ट ने एनसीबी ने इस तर्क को भी खारिज कर दिया कि सभी आरोपियों के मामलों पर विचार साथ होना चाहिए। बेल आर्डर में ये भी कहा गया कि आर्यन खान के पास से कोई भी आपत्तिजनक पदार्थ नहीं मिला है और इस तथ्य पर कोई विवाद भी नहीं है।

वहीं मर्चेंट और धमेचा के पास से अवैध मादक पदार्थ पाया गया है जिसकी मात्रा बेहद कम थी। आदेश के अनुसार, कोर्ट को ऐसे मामलों में पहले से ये सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि क्या इस बात के पर्याप्त सुबूत हैं कि वह प्रथम दृष्टया यह तय कर सके कि आवेदकों (आर्यन खान, मर्चेंट और धमेचा) ने साजिश रची और यह कि अभियोजन एनडीपीएस अधिनियम की धारा 29 के प्रावधान लगाने में सही है।’ न्यायमूर्ति सांब्रे ने कहा कि कोर्ट को इस तथ्य के प्रति संवेदनशील होने की आवश्यकता होती है कि आरोपियों के खिलाफ साजिश का मामला साबित करने के लिए साक्ष्य के तौर पर कुछ सामग्री है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा, ‘केवल इसलिए कि आवेदक क्रूज पर यात्रा कर रहे थे, एनडीपीएस अधिनियम की धारा 29 के प्रावधान लगाने को संतोषजनक आधार नहीं कहा जा सकता।’

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