क्रिसमस के दिन भारतीय प्रधानमंत्री मोदी ने 15 से 18 साल के बच्चों को तीन जनवरी से कोविड का टीका लगाए जाने की घोषणा की थी। मगर इस ऐलान के बाद भारत में एक नई बहस होने लगी है। जिसके अतंर्गत परिजनों के मन में ये प्रश्न उठने लगा है कि आखिर भारतीय प्रधानमंत्री मोदी ने पहले 15-18 साल के उम्र के बच्चों को ही वैक्सीन लगाने का ऐलान क्यों किया गया।
परिजनों ने बताया कि वैक्सीनेशन के इस प्रोग्राम में 12-18 साल तक के बच्चों को भी शामिल किया जा सकता था, लेकिन परिजनों के इन प्रश्नों के चलते विशेषज्ञों ने सरकार के इस निर्णय को सही करार दिया है। मीडिया से बात करते हुए विशेषज्ञों ने कहा है कि 15 से 18 साल के बच्चे अधिक बीमार होते हैं। ऐसे में इस आयु वर्ग को पहले टीका लगाए जाने का निर्णय सही है।
विशेषज्ञों ने कहा कि इस (15 से 18) आयुवर्ग के बच्चे अधिक बीमार होते हैं। जिसके चलते सबसे पहले इनका चयन किया गया है। एक बड़े डॉक्टर ने बताया कि बच्चे जैसे जैसे बड़े होते हैं। उसके बाद वो कई तरह की बीमारी का शिकार होते जाते हैं। जैसे यह देखा गया है कि 15 वर्ष के बाद मोटापा, माइग्रेन और कई तरह की रोग बच्चों को अपना शिकार बनाते लगते है। इसको मद्देनजर रखते हुए वैक्सीनेशन के लिये इस आयु के बच्चों को सबसे पहले रखने का निर्णय लिया गया है।