पटना॥ बिहार विधानसभा इलेक्शन के परिणामों में NDA को एक बार फिर से सरकार बनाने का अवसर मिला है। हालांकि महागठबंधन ने जिस प्रकार से चुनौती दी है, उसकी भी हर ओर प्रशंसा हो रही है। खासकर महागठबंधन के सीएम पद के उम्मीदवार तेजस्वी यादव के नेतृत्व क्षमता की भारतीय जनता पार्टी की वरिष्ठ नेता उमा भारती भी प्रशंसा कर रही हैं।
साथ ही जनता दल के सिर्फ 43 सीटों पर सिमटने से हर तरफ बात हो रही है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रति बिहार की जनता के बीच जबरदस्त नाराजगी रही होगी। हालांकि राजद नेता तेजस्वी यादव ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इल्जाम लगाया कि करीब 20 सीटों पर मतगणना में धांधली हुई है, जिसके चलते NDA की जीत हुई है।
राजद नेता तेजस्वी के आरोपों में कितनी सत्यता है इसपर चुनाव आयोग ही जवाब दे सकता है, मगर उससे पहले बिहार चुनाव के रिजल्ट पर नजर डालें तो स्पष्ट नजर आता है कि तेजस्वी यादव के सामने सरकार बनाने के ऑप्शन अभी भी बचे हुए हैं। आइए इन विकल्पों को समझने की कोशिश करते हैं।
तेजस्वी यादव और उनकी पार्टी के नेता निरंतर आरोप लगाते रहे हैं कि 2015 के विधानसभा इलेक्शन में बिहार की जनता ने महागठबंधन को जनादेश दिया था, जिसमें RJD+JDU+कांग्रेस शामिल थी। मगर करीब डेढ़ साल सरकार चलाने के बाद नीतीश कुमार गठबंधन से अलग हो गए और बीजेपी के साथ मिलकर सरकार चलाने लगे। RJD के लोग आरोप लगाते रहे हैं कि नीतीश कुमार ने अपने स्वार्थ और बीजेपी के डर से जनादेश का अपमान किया था। अब यदि तेजस्वी यादव को सरकार बनाना है तो NDA के घटक दलों को अपने पाले में करना होगा।
इस बार के बिहार चुनाव रिजल्ट में NDA के घटक दल हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) को 4 और विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) को 4 सीटें आई हैं। यदि ये दोनों पार्टी महागठबंधन की सरकार को समर्थन करते हैं तो महागठबंधन का नंबर 118 सीटों का हो जाएगा। जबकि बिहार में सरकार बनाने के लिए बहुमत का नंबर 122 सीट है।
यहां ज्ञात करा दें कि VIP के अध्यक्ष मुकेश सहनी ने महागठबंधन से अलग होने के पहले आरोप लगाया था कि तेजस्वी यादव उन्हें डिप्टी सीएम का पद देने की बात कर रहे थे, मगर सीट शेयरिंग के समय उन्हें नजरअंदाज कर दिया। अब तेजस्वी यादव चाहे तो मुकेश सहनी को मान मनौव्वल कर महागठबंधन में लाने की कोशिश कर सकते हैं।