डॉ कफील के भाई को गोरखपुर में मारी गयी गोली, गंभीर हालत में हॉस्पिटल में भर्ती

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लखनऊ।। BRD मेडिकल कॉलेज केस से चर्चा में आये गोरखपुर के डॉ. कफील अहमद के छोटे भाई कासिफ जमील को रविवार देर रात अज्ञात बदमाशों ने गोली मारकर उनकी जान लेने की कोशिश की। कफील के भाई को तीन गोलियां लगी हैं। वह गोरखपुर के एक प्राइवेट अस्तपाल में भर्ती हैं। इस हमले से पहले ही डॉ कफील ने खुद के और परिजनों के ऊपर हमले की आशंका जताई थी। उन्होंने इस घटना के बाद फिर से दोहराया है कि उनके परिवार को निशाना बनाया जा रहा है।

अपने भाई पर जानलेवा हमला होने के बाद डॉ. कफील ने कहा, “मेरे भाई जमील को आज तीन गोलियां मारी गई हैं। उनकी हत्या करने की कोशिश की गई है। वह हॉस्पिटल में भर्ती हैं। मैंने हमेशा से कहा था कि वे हमें मारने की कोशिश करेंगे।” खबर के मुताबिक उन्हें दो बाइक सवारों ने अपना निशाना बनाया। पुलिस इस मामले की जांच में जुट गयी है।

आपको बता दें कि BRD मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी से कई बच्चों की मौत के बाद डॉ. कफील को दोषी मानकर जेल भेज दिया गया था। उन्हें हाल ही में हाई-कोर्ट से जमानत मिली है। इस केस में आरोपी डॉ. कफील को यूपी STF ने लखनऊ से गिरफ्तार किया था। वह घटना के बाद से फरार चल रहे थे। कफील BRD हॉस्पिटल में वॉर्ड सुपरिंटेंडेंट थे।

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डॉ. कफील खान ने जेल से ही 10 पन्नों का एक पत्र लिखा था। इस पत्र में उन्होंने लिखा था कि बड़े स्तर पर हुयी प्रशासनिक नाकामी को छुपाने के लिये ही उन्हें बलि का बकरा बनाया गया है।18 अप्रैल को लिखा गया ये खत उनकी पत्नी शबिस्ता ने प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में जारी किया था।

डॉ कफील ने लिखा था, “ऑक्सीजन की कमी से जूझ रहे बच्चों को बचाने की मैंने पूरी कोशिश की। मैंने सभी लोगों को फोन किया, मैंने खुद ऑक्सीजन का ऑर्डर किया। मुझसे जो कुछ हो सकता था, मैंने वो सब किया. मैंने HOD, BRD के प्रिंसिपल, एक्टिंग प्रिंसिपल, गोरखपुर के DM सभी को कॉल किया। सभी को स्थिति की गंभीरता के बारे में बताया।”

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डॉ कफील ने आगे लिखा, “मैंने अपने दोस्तों को भी फोन कर उनसे मदद ली। बच्चों की जान बचाने के लिये मैंने गैस सिलेंडर सप्लायर से मिन्नतें तक की थीं। मैंने कुछ पैसों का इंतजाम कर कहा कि बाकी पैसा सिलेंडर मिल जाने के बाद पे कर दिया जायेगा। मैं बच्चों को बचाने के लिए एक वार्ड से दूसरे वार्ड भाग रहा था। पूरी कोशिश कर रहा था कि कहीं भी ऑक्सीजन सप्लाई की कमी न हो।”

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उन्होंने लिखा, “आसपास के अस्पताल से सिलेंडर का इंतजाम करने के लिये मैं खुद गाड़ी चलाकर गया। मैंने SSB के DIG से बात की। उन्होंने काफी मदद की। उन्होंने सिलेंडर लाने के लिये न सिर्फ ट्रक मुहैया कराया, बल्कि कुछ सैनिक भी साथ में भेजे। इसके लिये उनका शुक्रिया अदा किया। ऑक्सीजन की कमी दूर करने के साथ हमने टीम के रूप में काम किया।”

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डॉ कफील ने जेल से लिखा था कि 13 अगस्त की सुबह योगी महाराज अस्पताल आए थे। उन्होंने उनसे पूछा कि क्या आप ही डॉ. कफील हैं, जिन्होंने सिलेंडर का इंतजाम किया ? मैंने हाँ कहा तो वे मुझ पर भड़क गये। उन्होंने कहा कि सिलेंडर का इंतजाम कर लेने से आपको लग रहा कि आप हीरो बन जायेंगे ? मैं इसे देखता हूँ। योगी जी बहुत गुस्से में थे।

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“उनको लग रहा था कि मेरी वजह से ये मामला मीडिया में गया है। मैंने उनसे कहा कि मीडिया को कुछ भी नहीं बताया था, बल्कि वे तो खुद पहुंच गये थे। इसके बाद से मेरे परिवार को तंग किया जाने लगा। पुलिस घर आने लगी। मुझे धमकी दी जाने लगी। मेरा परिवार इन सब बातों से बुरी तरह डर गया था। परिवार को बचाने के लिये मैंने सरेंडर किया।”

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“मुझे लगा कि जब मैंने कुछ गलत नहीं किया तो मुझे कैसा डर ? मुझे लगा कि इंसाफ मिलेगा, लेकिन कई महीने बीत गये। मुझे लग रहा था कि मुझे बेल मिल जायेगी, लेकिन अब मुझे लग रहा कि न्यायपालिका दबाव में काम कर रही है। मेरे परिवार की भी जिंदगी नर्क बन गई है। मेरी बेटी एक साल 7 महीने की हो गई है। मैं उसका जन्मदिन भी नहीं मना सका।”

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