केजीएमयू ट्रामा सेन्टर के डॉ. वेद प्रकाश के वादे फेल, पर्चा बनाने वाले ​के लिए लगी लंबी लाइन कतारे, मरीजों को नहीं मिल रहा उपचार

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क्रिटिकल केयर मेडिसिन के डॉ. वेद प्रकाश फेल

लखनऊ। केजीएमयू ट्रॉमा सेंटर की घवस्त कार्यप्रणाली आज स्वस्थ्य विभाग की भूमिका को सवालों के लाल के घेरे में लाती नजर आ रही। जिसके चलते लोगों का सरकारी स्वस्थ्य सेवाओं से विश्वाश ही उठता जा रहा है जी हां आपको बतादें में क्रिटिकल केयर मेडिसिन के डॉ. वेद प्रकाश प्रेस कॉन्फ्रेस कर वादे तो काफी बड़े बड़े करते है लेकिन वादों के प्रति कितना खरा उतरते है ये ट्रामा सेन्टर की लचर व्यवस्था से साफ जाहीर होता है।

केजीएमयू ट्रामा सेन्टर के डॉक्टरों की मनमानी इस कदर है की मरीजों को उपचार नहीं मिल रहा है।  घंटों इंतजार करने के बाद मरीज चिकित्सकों का इंतजार करने के बाद बिना उपचार कराए ही लौटने को विवश है। ऐसे में सवाल बड़ा ये खड़ा होता है की अखिर योगी ​सरकार सरकारी स्वस्थ्य सेवाओं पर अंकुश क्यों नहीं लगा पा रहीं है।

पर्चा बनाने वाले कक्ष के सामने लंबी लाइन लगी रही। उसके बाद ओपीडी के सामने मरीजों की लंबी-लंबी लाइन लग गई। वहीं आलम ये रहा की पर्चा बनवाने के लिए बीमार बच्चों को खड़ी महिलाएं बालरोग विशेषज्ञ का इंतजार करती रही। डेढ़ बजे के बाद ओपीडी बंद होने तक बीमार बच्चों के उपचार न मिलने से महिलाओं में आक्रोश पनप गया लेकिन करें भी तो क्या।

बावजूद इसके रवैया जस का तस ऐसा क्यो

जैसा की मालूम ही होगा की, केजीएमयू का सालाना बजट करीब 910 करोड़ रुपए है। मरीज-तीमारदार, डॉक्टर व कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए परिसर में सीसीटीवी कैमरे लगाने का प्रस्ताव बना। था 64 भवनों के लिए करीब 350 सीसीटीवी कैमरे लगाने का फैसला हुआ। एक करोड़ 22 लाख रुपये की लागत से 225 कैमरे खरीद गए। 50 कैमरे से परिसर के विभिन्न स्थानों में लगाए गए थे। बावजूद इसके रवैया जस का तस ऐसा क्यो! सवाल ये है इन सबके बावजूद आमजनता को समस्या से निजात क्यों नहीं मील रहा है।

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