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हरिद्वार संसदीय सीट के चुनावी समीकरण बाकी सीटों की तुलना में ज्यादा जटिल हैं। जिताऊ उम्मीदवार तलाशने में भाजपा को कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है। हरिद्वार लोकसभा से निरंतर दो मर्तबा सांसद रहे डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक के अलावा पार्टी दूसरे दावेदारों के नामों पर भी गंभीरता से सोच रही है।

भाजपा प्रदेश में बेशक पांचों लोकसभा सीटों पर अपनी जीत का दावा कर रही है, लेकिन हरिद्वार का चुनावी समर उनके लिए उतना आसान नहीं माना जा रहा। इस संसदीय सीट के चुनावी समीकरण उतने सरल नहीं हैं, जितने भाजपा मानकर चल रही है। सियासी जानकारों का मानना है कि जातीय समीकरणों के लिहाज से इस सीट पर भाजपा का चुनाव प्रबंधन कठिन चुनौतियों से होकर गुजरेगा।

इन्हीं चुनौतियों के कारण पार्टी को इस सीट पर जिताऊ प्रत्याशी की तलाश है। बता दें कि इस सीट पर प्रत्याशी की तलाश के लिए बीजेपी को तगड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है।

इस सीट पर पार्टी के चुनाव और बूथ प्रबंधन की भी परीक्षा। 2022 के विधानसभा चुनाव में हारी। 23 विधानसभा सीटों में सात अकेले हरिद्वार जिले से हैं। इनमें भगवानपुर, झबरेड़ा, ज्वालापुर, हरिद्वार ग्रामीण और पिरान कलियर सीट कांग्रेस के पास है। मंगलौर और लक्सर में बसपा और खानपुर निर्दलीय ने जीती थी।

हरिद्वार जिले में भाजपा 11 में से सिर्फ तीन सीटों पर है, जबकि दो हज़ार 17 के चुनाव में भाजपा ने 11 में से आठ सीटें जीती थी। यानी दो हज़ार 19 के चुनाव में भाजपा हरिद्वार जिले में राजनीतिक तौर पर अधिक मजबूत थी। लेकिन आगामी लोकसभा चुनाव के लिहाज से जिले में राजनीतिक रूप से वह उतनी सशक्त नहीं है। यही वजह है कि केंद्रीय नेतृत्व को इस सीट पर प्रत्याशी चयन को लेकर काफी सोच विचार करना पड़ रहा है।

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