नई दिल्ली। वैज्ञानिकों ने छोटे गुरुत्वाकर्षण संकेतों की पहचान करने के लिए ऐसे कंप्यूटर विकसित किये हैं जो कुछ सिग्नल का इस्तेमाल करके बड़े भूकंप का आंकलन कर सकते है। ‘साइंस’ में छपी खबर के मुताबिक यह तरीका एकदम नया है।
कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के भूकंपविज्ञानी रिचर्ड एलन का कहना है कि अगर हम इस एल्गोरिथम को लागू करते हैं तो भूकंप के दौरान होने वाले बड़े नुकसान से बचा जा सकता है। गौरतलब है कि अभी तक वैज्ञानिक भूकंप का पता लगाने के लिए भूकंपीय तरंगों या भूकंपीय तरंगों की निगरानी करते हैं। इसे सीस्मोमीटर भी कहा जाता है।
वे जितनी अग्रिम चेतावनी दे सकते हैं, वह भूकंप और सिस्मोमीटर के बीच की दूरी और 6 किलोमीटर प्रति सेकंड से कम की यात्रा करने वाली भूकंपीय तरंगों की गति पर निर्भर करती है। एलन का कहना है कि यह छोटे टेम्पलर के लिए तो बेहतर काम करता है, लेकिन 7 से अधिक तीव्रता वाले भूकंप कि पहचान करना बेहद चुनौतीपूर्ण हो जाता है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक हाल ही में, गुरुत्वाकर्षण तरंगों की खोज में शामिल शोधकर्ताओं ने महसूस किया कि प्रकाश की गति से गुरुत्वाकर्षण संकेतों का इस्तेमाल भूकंप की निगरानी के लिए भी किया जा सकता है। फ्लोरिडा विश्वविद्यालय के भौतिक विज्ञानी बर्नार्ड व्हिटिंग भी कहते हैं कि आश्चर्यजनक बात यह है कि सिस्मोमीटर में भी सिग्नल मौजूद होगा।
बताया जा रहा है कि ये तकनीक बड़े-तीव्रता वाले भूकंपों के अधिक विश्वसनीय आकार का अनुमान दे सकता है, जो महत्वपूर्ण है, विशेष रूप से सूनामी की भविष्यवाणी के लिए, जिसे अक्सर आने में ज्यादा से ज्यादा 10 या 15 मिनट लगाते हैं. हालांकि, तकनीक अभी इस तकनीकी को चालू नहीं किया गया है, इसने वास्तविक समय में डेटा संसाधित नहीं किया है। इस मॉडल को जापान में तैनात करने की तैयारी की जा रही है।