कांग्रेस ने आखिरकार उत्तर प्रदेश में गांधी परिवार का गढ़ माने जाने वाले रायबरेली और अमेठी लोकसभा क्षेत्रों से अपनी उम्मीदवारी की घोषणा कर दी है। कांग्रेस ने रायबरेली से राहुल गांधी और अमेठी सीट से किशोरी लाल शर्मा को उम्मीदवार घोषित किया है।
आज दोनों उम्मीदवार अपना आवेदन दाखिल करेंगे जिसकी पूरी तैयारी कांग्रेस ने कर ली है। प्रियंका गांधी नहीं लड़ेंगी इलेक्श। इस बात को लेकर कई तरह के तर्क दिए जा रहे हैं कि राहुल गांधी ने अमेठी की जगह रायबरेली को क्यों चुना।
अमेठी और रायबरेली निर्वाचन क्षेत्र गांधी परिवार के पारंपरिक गढ़ माने जाते हैं। पिछले इलेक्श में बीजेपी की स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी को अमेठी से हराया था। इस साल स्मृति ईरानी फिर से मैदान में हैं। इस साल राहुल गांधी की जगह किशोरी लाल शर्मा को चुनावी मैदान में उतारा गया है।
राहुल गांधी इस साल मां सोनिया गांधी और दादी इंदिरा गांधी के संसदीय क्षेत्र से अपनी किस्मत आजमाने जा रहे हैं। चर्चा है कि राहुल गांधी का अमेठी की बजाय रायबरेली सीट से खड़ा होना कांग्रेस की सोची-समझी रणनीति है।
राहुल गांधी का अमेठी की बजाय रायबरेली से इलेक्श लड़ने का फैसला इलेक्श में हार के डर से नहीं, बल्कि बीजेपी की रणनीति को कमजोर करने के लिए है। 2024 इलेक्श का माहौल राहुल बनाम मोदी जैसा दिख रहा है। इसी तरह यदि वे अमेठी से मैदान में उतरते हैं तो राहुल बनाम स्मृति ईरानी जैसा माहौल बन जाएगा।
ऐसा माहौल न बने इसके लिए कांग्रेस पार्टी ने राहुल गांधी को अमेठी से टिकट न देकर उन्हें रायबरेली से मैदान में उतारा है। यदि राहुल गांधी को अमेठी से उम्मीदवार नहीं बनाया गया होता तो प्रियंका गांधी को रायबरेली से टिकट देना पड़ता। प्रियंका गांधी इस बार इलेक्श लड़ने की इच्छुक नहीं हैं। यदि वे उभरे तो बीजेपी को वंशवाद के आधार पर कांग्रेस को घेरने का मौका मिल जाएगा।
इतना ही नहीं, यदि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी दोनों इलेक्श में खड़े होते हैं, तो दोनों को अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों में प्रचार में व्यस्त रहना होगा। ऐसे में दोनों नेताओं के पास देश के अन्य हिस्सों में पार्टी के प्रचार के लिए कम समय होगा। इसलिए प्रियंका गांधी देश भर में प्रचार पर ध्यान केंद्रित करने के लिए इलेक्श से हट गईं।
कांग्रेस की रणनीति के तहत राहुल गांधी को रायबरेली से मैदान में उतारा गया है। क्योंकि उन पर राज्य छोड़कर भागने का इल्जाम नहीं लगना चाहिए। प्रियंका गांधी प्रचार के लिए हर जगह उपलब्ध रहेंगी। भाई-भतीजावाद के आरोप पर भी मोदी-बीजेपी को जवाब दिया जा सकता है। इसलिए कांग्रेस ने बीजेपी को कांग्रेस के खिलाफ मुद्दे ढूंढने से रोकने के लिए राहुल गांधी को रायबरेली से मैदान में उतारा।
पिछले 4 महीने से स्मृति ईरानी ने अमेठी में थाने का आयोजन किया है। यदि राहुल गांधी यहां फिर हारते हैं तो गांधी परिवार की राजनीतिक प्रतिष्ठा पर सवाल उठ जाएगा। इसलिए उत्तर भारतीय राजनीति में राहुल गांधी के राजनीतिक वर्चस्व को नुकसान पहुंचेगा। इसलिए राहुल गांधी को रायबरेली से उम्मीदवार बनाया गया है।
अमेठी की जगह रायबरेली देने के पीछे एक और रणनीति ये है कि यदि राहुल गांधी दोनों सीटों से चुने जाते हैं तो उन्हें एक सीट से इस्तीफा देना होगा। यदि प्रियंका गांधी रायबरेली या वायनाड सीट से इस्तीफा देती हैं तो उन्हें वैकल्पिक उम्मीदवार के रूप में माना जाएगा। राहुल गांधी के वायनाड छोड़ने की संभावना कम है। इसलिए नेताओं का मानना है कि यदि रायबरेली में उपइलेक्श हुआ तो प्रियंका गांधी भी सांसद बन सकती हैं।
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