गांवों को लोगों पर कम हो रहा कोरोना का असर, सामने आई ये बड़ी वजह

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वायरस के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन का असर हवा में 20 मिनट से ज्यादा जिंदा नहीं रह सकता है। यही वजह है कि जहां भीड़भाड़ कम है वहां इसका प्रभाव कम हो रहा है।

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विशेषज्ञों का कहना है कि किसी के छींकने या खांसने पर ड्रॉपलेट्स 3 से 4 फीट तक जा सकते हैं। पांच से छय फीट बाद इसकी बूंदें कमजोर होकर मर जाती हैं।

गांव के लोगों को कम हो रहा कोरोना

इम्यूनोलॉजिस्ट एंड रेस्पिरेटरी डिजीज स्पेशलिस्ट डॉ. वीरेंद्र सिंह ने कहा कि शहरों में कोरोना तेजी से फैलता है। गांवों में इसका असर कम होता है। क्योंकि ओमिक्रॉन ज्यादा देर तक हवा में नहीं रह सकता है। उनका कहना है कि जब कोई छींकता या खांसता है तो बूंदे तीन-चार फीट तक ऊपर चली जाती हैं। तत्पश्चात 5 से 6 फीट बाद इसकी बूंदें कमजोर होकर नष्ट हो जाती हैं।

डॉक्टर ने बताया कि बड़े शहरों में एक से दूसरी स्थान पर जाने में ट्रैवल टाइम अधिक लगता है। एक्जाम्पल के तौर पर राजधानी दिल्ली में किसी शख्स को पचास किलोमीटर यात्रा करने में डेढ़ घंटा तक लग जाता है। जयपुर में 20 से 30 मिनट वक्त शहर में लगता है। लिहाजा, कोरोना संक्रमित जितनी देर तक शहर में यात्रा करता है, उतना अधिक संक्रमण का खतरा भी बढ़ता है। जबकि गांवों में जहां जनसंख्या कम है वहां वायरस फैलने की आशंका भी कम रहती है।

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