Up Kiran, Digital Desk: बिहार में विधानसभा चुनाव का बिगुल भले ही आधिकारिक तौर पर न फूंका गया हो, लेकिन राजनीतिक हलचलें अपने चरम पर हैं। राज्य के अलग-अलग हिस्सों में सियासी दलों के नेता सभाएं कर रहे हैं, संभावित प्रत्याशी गांव-गांव घूम रहे हैं और जनता से सीधे संवाद स्थापित कर रहे हैं। कैमूर जिले की चैनपुर विधानसभा सीट इस बार फिर से चुनावी चर्चा का केंद्र बनी हुई है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यहां का मुकाबला इस बार बेहद रोमांचक और नजदीकी हो सकता है।
चैनपुर विधानसभा क्षेत्र की भौगोलिक और सांस्कृतिक तस्वीर
चैनपुर विधानसभा सीट कैमूर जिले में स्थित है, जिसमें चार प्रमुख ब्लॉक—चैनपुर, चांद, अधौरा और भगवानपुर शामिल हैं। यह इलाका पूरी तरह ग्रामीण है, जहां खेती-किसानी लोगों की मुख्य आजीविका है। सांस्कृतिक दृष्टि से यह इलाका काफी समृद्ध है। यहां हरसु ब्रह्म मंदिर जैसी आस्था की जगह है, वहीं ऐतिहासिक दृष्टि से शेरशाह सूरी के दामाद बख्तियार खान का मकबरा भी यही पर स्थित है। वर्ष 2020 में यहां मतदाताओं की कुल संख्या 3.18 लाख थी, जो 2024 तक बढ़कर 3.33 लाख के आसपास पहुंच गई है। इनमें दलित समुदाय के मतदाता लगभग 21 प्रतिशत हैं, जबकि जनजातीय आबादी करीब 9.38 प्रतिशत और मुस्लिम मतदाता लगभग 9.7 प्रतिशत हैं।
राजनीति का ट्रैक रिकॉर्ड: कभी बीजेपी, कभी बसपा
अगर चैनपुर की चुनावी पृष्ठभूमि की बात करें, तो यहां का वोटर किसी एक पार्टी का स्थायी समर्थक नहीं रहा है। यहां अक्सर चेहरे और छवि को प्राथमिकता दी जाती है, पार्टी को नहीं। कांग्रेस, आरजेडी, बसपा, बीजेपी, जनसंघ और जनता पार्टी सभी ने यहां अपना परचम लहराया है, जबकि वाम दल और जेडीयू को अब तक सफलता नहीं मिली है।
बीजेपी ने इस सीट पर छह बार जीत दर्ज की है, वहीं बसपा और आरजेडी को दो-दो बार मौका मिला। 2020 में जमा खान ने बसपा के टिकट पर चुनाव जीता, लेकिन बाद में जेडीयू का दामन थाम लिया और नीतीश सरकार में मंत्री बने। इससे पहले 2015 और 2010 में बृज किशोर बिंद बीजेपी की ओर से विधायक बने। महाबली सिंह ने 1995 और 2000 में बसपा से जीत दर्ज की थी, जबकि 2005 में वे आरजेडी के टिकट पर विधायक बने थे।
चुनावी घमासान क्यों होगा दिलचस्प?
इस बार चैनपुर में मुकाबला त्रिकोणीय नहीं, बल्कि बहुकोणीय हो सकता है। एक ओर बीजेपी अपनी पारंपरिक पकड़ को दोबारा स्थापित करने की कोशिश में है, वहीं दूसरी ओर जमा खान अब जेडीयू का हिस्सा हैं, जो इस सीट को बनाए रखने के लिए हर संभव प्रयास करेगी। जनसुराज पार्टी भी मैदान में उतरने की तैयारी में है। उधर महागठबंधन की ओर से संभवतः आरजेडी अपना उम्मीदवार उतारेगी। ऐसे में यह चुनाव काफी प्रतिस्पर्धी और नतीजे के लिहाज से अप्रत्याशित हो सकता है।
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