अगर गलती से भी देख ली इस देवी की प्रतिमा, तो चली जाती हैं आंख की रोशनी, हमेशा रहती हैं संदूक में बंद

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देवीधुरा। देवभूमि के नाम से फेमस उत्तराखंड के अल्मोड़ा से लगभग 75 किलोमीटर की दूरी पर विश्व प्रसिद्ध देवीधुरा का मंदिर स्थित है। उस मंदिर में मां वाराही (Maa Varahi) विराजमान हैं। देवीधुरा उत्तराखंड के चंपावत जिले में आता है। कहते हैं इस मंदिर में देवी की प्रतिमा को एक संदूक में बंद करके रखा गया है। इस मंदिर की देखभाल करने वाले पुजारी बताते हैं कि माता यहां दिगंबर शक्ति और बज्र के रूप में विराजमान हैं। वे कहते हैं कि माता का तेज इतना अधिक है कि कोई भी इंसान उन्हें अपनी खुली आंखों से नहीं देख सकता है।

अगर गलती से भी किसी ने मां की प्रतिमा को देख ले तो वह अंधा हो जाता है। यही वजह है कि मां की प्रतिमा को संदूक में रखा जाता है। पुजैर ने बताया कि बग्वाल के अगले दिन मां की प्रतिमा को साल में एक बार संदूक से बाहर निकाला जाता है और स्नान कराया जाता है। मां की प्रतिमा को स्नान कराते वक्त स्नान कराने वाले की आंखों पर पट्टी बंधी होती है। वाराही मंदिर में आपको भीम शिला के भी दर्शन होंगे। (Maa Varahi)

धर्मशास्त्रों में लिखा है कि जब पांडव अज्ञातवास में यहां आए थे, तो वह एक स्थान पर रुके थे। उस दौरान भीम को एक बार गुस्सा आ गया था तब उन्होंने इस बड़े पत्थर को दो हिस्सों में बांट दिया था। कहा जाता है कि भीम के द्वारा पत्थर पर जो तलवार मारी गई थी, इसके बीच से लोग सिक्का डाला करते थे और वहां से खनकने की आवाज सुनाई देती थी। (Maa Varahi)

संतान सुख मिलता है

मान्यता है कि जिन महिलाओं को संतान सुख की प्राप्ति नहीं होती है वे इस मंदिर में आकर मां के डोले के चारों तरफ बैठकर पूजा करती हैं। इसके आलावा महिलाएं रात भर दिया हाथ में लेकर पूजा करती हैं। इसके बाद वाराही देवी (Maa Varahi) आशीर्वाद के रूप में महिलाओं की सूनी गोद भरती हैं। कहते हैं कि मंदिर प्रांगण में एक पत्थर है जिसे उठाने मात्र से मनुष्य के रोग और कष्ट दूर हो जाते हैं। मान्यता है कि ये पत्थर वही लोग उठा सकते हैं, जिनका मन साफ होता है। कहते हैं कि मन साफ़ होने पर इस पत्थर को पांच लोग अपनी दो उंगली से भी उठा सकते हैं।

माता यहां शक्तिपीठ के रूप में विराजमान

मंदिर के पुजारी चंद्र प्रकाश का कहना है कि माता यहां शक्तिपीठ के रूप में विराजमान हैं। इस मंदिर में माता के दर्शन के लिए लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। वहीं जब पांडव अज्ञातवास में आए थे, तो वे यहीं रुके थे. मां वाराही (Maa Varahi) का मंदिर सुबह 5 बजे खुलता है और शाम करीब 7 बजे बंद हो जाता है। मंदिर में नियमित रूप से मां दुर्गा माता की आरती होती है।
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