लद्दाख की वादियों से लेकर हिमनदी तक जादुई है सब कुछ, जानिए क्या-क्या है ख़ास

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भारत का लगभग हर व्यक्ति लद्दाख जाने की तम्मना करता है. इसकी खासियत ही यही है कि इसकी खूबसूरती के आगे इंसान घुटने तक देता है. बर्फ से ढंकी ऊंची चोटियां, हिमनदी, रेत के टीले, कारगिल शहीदों की जांबाजी को याद दिलाती चोटियां और चमकती सुबह के साथ घने बादल। यह शांत वादियां आज के दौर में भी हर किसी को सुकून दिलाती हैं।


लद्दाख की ताजा हालात की बात करे तो इस समय में लेह-लद्दाख बर्फ से लदा है, पर पर्यटक फिर भी यहां जिंदगी के कुछ पल बिताने आ जाते हैं। वहीं केंद्र सरकार भी लद्दाख में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठा रही है। मौजूदा समय में लेह में न्यूनतम तापमान माइनस में आ चुका है।

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चादर ट्रैक

चादर ट्रैक लेह-लद्दाख के कठिन ट्रैक में से है। इस ट्रैक को चादर ट्रैक इसलिए कहा जाता है क्योंकि जांस्कर नदी सर्दियों में बर्फ की सफेद चादर में बदल जाती है। चदर फ्रोजन रिवर ट्रेक दूसरे ट्रेकिंग वाली जगह से अलग है।

मैग्नेटिक हिल

लद्दाख के मैग्नेटिक हिल को ग्रेविटी हिल कहा जाता है, जहां वाहन गुरुत्वाकर्षण बल की वजह से अपने आप पहाड़ी की तरफ बढ़ते हैं। ऑप्टिकल भ्रम या वास्तविकता, लद्दाख में मेगनेटिक हिल का रहस्य पर्यटकों को आकर्षित करता है।

पैंगोंग झील

ब्लू पैंगोंग प्रसिद्ध झील है। यह झील 12 किलोमीटर लंबी है और 43,000 मीटर की ऊंचाई पर है। इसका तापमान -5 से 10 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है। सर्दियों में पूरी तरह से जम जाती है।

खारदुंग ला पास

खारदुंग ला पास को लद्दाख क्षेत्र में नुब्रा और श्योक घाटियों के प्रवेश द्वार के रूप में जाना जाता है। यह सियाचिन ग्लेशियर में महत्वपूर्ण स्ट्रेटेजिक पास है। यहां की प्राकृतिक सुंदरता, हवा यह महसूस करवाती है जैसे कि आप दुनिया के शीर्ष पर हैं।

लेह पैलेस

लेह पैलेस जिसे लचकन पालकरके नाम से जाना जाता है। यह लेह-लद्दाख का प्रमुख ऐतिहासिक स्थल है। देश की ऐतिहासिक समृद्ध संपदाओं में से एक है। इस आकर्षक संरचना को 17 वीं शताब्दी में राजा सेंगगे नामग्याल ने शाही महल के रूप में बनवाया था। इस हवेली में राजा और उनका पूरा राजसी परिवार रहता था। इस महल की नौ मंजिलें हैं। यह अपने समय में ऊंची इमारत थी।

शांति स्तूप

शांति स्तूप लेह लद्दाख का धार्मिक स्थल है जो बौद्ध सफेद गुंबद वाला स्तूप है। शांति स्तूप का निर्माण जापानी बौद्ध भिक्षु ग्योम्यो नाकामुरा ने किया था। 14 वें दलाई लामा द्वारा खुद को विस्थापित किया गया था। यह स्तूप अपने आधार पर बुद्ध के अवशेष रखता है और यहां के आसपास के परिदृश्य का मनोरम दृश्य प्रदान करता है। शांति स्तूप समुद्र तल से 4,267 मीटर की ऊंचाई और सड़क मार्ग से 5 किलोमीटर दूरी पर है। यहां वैकल्पिक रूप से आप लेह शहर से 500 सीढ़ियां चढ़कर स्तूप तक पहुंच सकते हैं।

फुगताल मठ

फुकताल या फुगताल मठ एक अलग मठ है जो लद्दाख में जंस्कार क्षेत्र के दक्षिणी और पूर्वी भाग में स्थित है। यह उन उपदेशकों और विद्वानों की जगह है जो प्राचीन काल में यहां रहते थे। यह जगह ध्यान करने, शिक्षा, सीखने और एन्जॉय करने की जगह थी। झुकरी बोली में फुक का अर्थ है गुफ और ताल का अर्थ है आराम होता है। यह 2250 साल पुराना मठ एकमात्र ऐसा मठ है जहां पैदल यात्रा करके पहुंचा जा सकता है। फुगताल मठ लद्दाख के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है।

त्सो मोरीरी झील

त्यो मोरीरी झील पैंगोंग झील की जुड़वां झील है जो चांगटांग वन्यजीव अभयारण्य के अंदर स्थित है। यह झील पर्यटकों को सुंदर वातावरण और शांति प्रदान करती है। इस झील का जल निकाय उत्तर से दक्षिण तक लगभग 28 किमी और गहराई में लगभग 100 फीट है। बर्फ से ढके खूबसूरत पहाड़ों की पृष्ठभूमि के साथ आकर्षक त्सो मोरीरी झील बंजर पहाड़ियों से घिरी हुई है। यहां पर पर्यटकों की ज्यादा भीड़ नहीं होती।

स्टोक पैलेस

स्टोक पैलेस सिंधु नदी के करीब स्थित लेह-लद्दाख में देखने की सबसे अच्छी जगहों में से एक है। इस महल को 1825 ईस्वी में राजा त्सेपाल तोंदुप नामग्याल द्वारा बनाया गया था। यह आकर्षक महल वास्तुकला, डिजाइन, सुंदर उद्यानों और अद्भुत दृश्यों के लिए प्रसिद्ध है। यह महल शाही पोशाक, मुकुट और अन्य शाही सामग्रियों के संग्रह का स्थान भी है।

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