बहुत कुछ कहता है मुलायम सिंह यादव का यह लेटरबम

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सुभाष चंद्र

लखनऊ ।। मुलायम सिंह यादव भले ही पार्टी के चुनाव चिंह को लेकर चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटा रहे हैं, लेकिन उनका यह लेटर उनकी मंशा या उनके आत्मविस्वास को लेकर बहुत कुछ कहता है।

नीचे दी जा रही मुलायम सिंह यादव की इस चिट्ठी को पर नजर डालें तो सबकुछ साफ होता हुआ नजर आता है। साथ ही यह भी साफ हो जाता है कि मुलायम सिंह यादव बेटे को बैकडोर से मदद कर रहे हैं। यदि ऐसा नहीं है तो फिर मुलायम सिंह यादव के इस लेटर में ये खामियां क्यों हैं?[box type=”shadow” align=”alignright” class=”1″ width=”1″ ] मुलायम सिंह यादव नहीं दे पाएंगे इन पांच सवालों का जवाब, ऐसे में यह साफ हो जाता है कि वह अखिलेश यादव की मदद कर रहे हैं।[/box]

सवाल 1. पहला सबसे बड़ा सवाल है कि मुलायम सिंह यादव यदि आकस्मिक अधिवेशन को अवैध मानते हैं तो अपने आप को राष्ट्रीय अध्यक्ष मानते होंगे। फिर उन्होंने अपनी चिट्ठी में राष्ट्रीय अध्यक्ष क्यों नहीं लिखा। मुलायम सिंह यादव की चिट्ठी में कहीं पर भी और चिट्ठी के अखिरी में उनका हस्ताक्षर तो है, लेकिन उनका कोई पद नहीं लिखा है। यह बड़ा सवाल खड़ा करता है कि ऐसा क्यों है।

सवाल 2. दूसरा सबसे बड़ा सवाल ये था कि यदि अधिवेशन हो रहा था तो मुलायम सिंह यादव उस अधिवेशन में क्यों नहीं गए। वह अधिवेशन के मुखिया थे। क्या विधायकों का अखिलेश यादव को समर्थन मिलने के बाद मुलायम सिंह यादव डर गए। या वह बेटे की हर तरह से मदद करना चाह रहे थे, इस लिए अधिवेशन में नहीं गए। अधिवेशन में जाने पर अखिलेश के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने को लेकर विराम लग जाता।

सवाल 3. मुलायम सिंह यादव ने राम गोपाल यादव को निलंबित किया तो अखिलेश यादव पर कार्रवाई क्यों नहीं की।

सवाल 4. आकस्मिक अधिवेशन 5 जनवरी को मुलायम सिंह यादव ने बुलाया था, उन्होंने इसे वापस क्यों ले लिया। क्या यह अखिलेश यादव का समर्थन करना नहीं है?

सवाल 5. आकस्मिक अधिवेशन यदि असंवैधानिक था तो फिर मुलायम सिंह यादव ने यह बयान क्यों नहीं दिया कि अभी भी यूपी के अध्यक्ष शिवपाल यादव ही हैं।

फोटोः लेटर, जिस पर मुलायम सिंह यादव की मंशा को लेकर सवाल खड़ा हो रहा है।

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