हिंदी सिनेमा के पहले सुपरस्टार Rajesh Khanna के प्रति प्रशंसकों की दीवानगी सर चढ़कर बोलती थी

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शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार

मेरे सपनों की रानी कब आएगी तू, आई रुत मस्तानी कब आएगी तू…यह जो मोहब्बत है यह उनका काम.. ये शाम मस्तानी मदहोश किए जा.. प्यार दीवाना होता है, मस्ताना होता है.. इस गाने को सुनकर आपको भी किसी की याद जरूर आ गई होगी। जी हां आप सही सोच रहे हैं, हम बात कर रहे हैं हिंदी सिनेमा के पहले सुपरस्टार राजेश खन्ना (Rajesh Khanna) की । आज 29 दिसंबर है । इस तारीख को काका यानी राजेश खन्ना (Rajesh Khanna) का जन्मदिन पड़ता है।

Acter Rajesh Khanna
Acter Rajesh Khanna

‘राजेश खन्ना (Rajesh Khanna) का नाम सुनते ही 70 का दशक याद आता है, बॉलीवुड के एक यही ऐसे कलाकार रहे हैं जिनके प्रति प्रशंसकों में दीवानगी इस कदर थी कि लोग इनके ‘आशीर्वाद बंगले’ में एक झलक पाने के लिए घंटों खड़े रहते थे। राजेश खन्ना (Rajesh Khanna) और अमिताभ बच्चन को लेकर फिल्मी पंडितों में 70 से लेकर 80 के दशक तक बहस छिड़ी रही कि आखिर सुपरस्टार कौन? आज हम आपको बताने जा रहे हैं फिल्म इंडस्ट्रीज के वास्तविक पहले सुपरस्टार कौन थे, जी हां पहले सुपरस्टार हिंदी सिनेमा के राजेश खन्ना थे। ‘उनके प्रति इस कदर दीवानगी थी कि दर्शक उनके नाम पर ही सिनेमा थियेटरों पर खिंचे आते थे’।Rajesh Khanna-Birthday

फिल्म इंडस्ट्री में प्यार से लोग राजेश खन्ना (Rajesh Khanna)  को ‘काका’ के नाम से बुलाते थे। उनका स्टाइल और रोमांटिक अंदाज को लाखों दर्शक आज भी नहीं भूले हैं। अब बात करते हैं काका के जीवन और फिल्मी सफर के बारे में । राजेश खन्ना का जन्म 29 दिसंबर 1942 को पंजाब के अमृतसर में हुआ था इनका पहले नाम जतिन खन्ना था। इनके माता पिता लाला हीराचंद और चांदरानी खन्ना थे।

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स्कूल के दौरान ही राजेश खन्ना (Rajesh Khanna) का झुकाव थिएटर की तरफ था और वो नाटकों में हिसा लिया करते थे और कई बार इनाम भी जीते। राजेश ने धीरे-धीरे रंगमंच में दिलचस्पी लेनी शुरू की और स्कूल में बहुत से नाटकों में भाग लिया। उसके बाद उनके चाचा उन्हें बंबई (अब मुंबई) ले आए। मायानगरी में आकर उनका नाम जतिन से राजेश खन्ना हुआ । राजेश खन्ना मुंबई के गिरगांव चौपाटी में रहते थे और वहीं स्कूल और कॉलेज की पढ़ाई की। राजेश खन्ना के सहपाठी अभिनेता जीतेन्द्र थे।

rajesh khanna
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राजेश खन्ना ने साल 1966 में फिल्म ‘आखिरी खत’ से फिल्मी पारी शुरू की थी—-

टैलेंट कांटेस्ट के जरिए फाइनलिस्ट बनने के बाद राजेश खन्ना (Rajesh Khanna) ने फिल्मों की ओर रुख किया। रूमानी अंदाज और स्वाभाविक अभिनय के धनी राजेश खन्ना ने अपने अभिनय करियर की शुरुआत 1966 में फिल्म ‘आखिरी खत’ से की थी। इस फिल्म को चेतन आनंद ने डायरेक्ट किया था। इस फिल्म में राजेश खन्ना की बेजोड़ अभिनय की सभी ने सराहना की थी। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा।

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वर्ष 1969 में आई फिल्म ‘आराधना’ ने उनके करियर को उड़ान दी और देखते ही देखते वह युवा दिलों की धड़कन बन गए। इस फिल्म ने राजेश खन्ना (Rajesh Khanna) की किस्मत के दरवाजे खोल दिए। फिल्म आराधना का गाना ‘मेरे सपनों की रानी कब आएगी’ जबरदस्त सुपरहिट हुआ था। इस गाने को लोग आज भी नहीं भूले हैं। उसके बाद ‘राजेश खन्ना ने अगले चार साल के दौरान लगातार 15 सफल फिल्में देकर समकालीन और अगली पीढ़ी के अभिनेताओं के लिए मील का पत्थर कायम किया’।

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हिंदी सिनेमा में राजेश खन्ना (Rajesh Khanna) और मुमताज की जोड़ी सबसे सफल रही। इन दोनों ने कई फिल्में सुपरहिट दी। राजेश खन्ना और मुमताज की फिल्में देखने के लिए सिनेमा थिएटर में दर्शकों की भीड़ लग जाती थी। उनकी फिल्म ‘दो रास्ते’ की सफलता के साथ दोनों ने सफलता का एक बड़ा मुकाम हासिल कर लिया। वर्ष 1969 से 1974 तक इन दोनों ने ‘सच्चा झूठ’, ‘अपना देश’, ‘दुश्मन’, ‘बंधन और रोटी’ जैसी शानदार फिल्में दीं।

इन सुपरहिट फिल्मों ने राजेश खन्ना को बना दिया था ‘फिल्म इंडस्ट्रीज का बाबू मोशाय’–

वर्ष 1970-71 खन्ना (Rajesh Khanna) के करियर का सबसे यादगार साल रहा । इस वर्ष उन्होंने ‘कटी पतंग’, ‘आनंद’, ‘आन मिलो सजना’, ‘महबूब की मेहंदी’, ‘हाथी मेरे साथी’ और ‘अंदाज’ जैसी अति सफल फिल्में दीं। उन्होंने ‘दो रास्ते’, ‘दुश्मन’, ‘बावर्ची’,अपना देश’, ‘आप की कसम’, ‘प्रेम कहानी’, ‘सफर’, ‘दाग’, ‘मर्यादा’, ‘रोटी’, ‘महबूबा’, ‘कुदरत’, ‘दर्द’, ‘राजपूत’, ‘धर्मकांटा’, ‘मेरे जीवन साथी’, ‘जोरू का गुलाम’, ‘अनुराग’, ‘दाग’, ‘नमक हराम’ और ‘हमशक्ल’ सौतन’, ‘अवतार’, ‘अगर तुम न होते’, ‘आखिर क्यों’, ‘अमृत’, ‘स्वर्ग’, ‘खुदाई’, ‘आ अब लौट चले’ सरीखी हिट फिल्मों के जरिए बॉक्स ऑफिस को कई वर्षों तक गुलजार रखा।

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वर्ष 1970 में बनी फिल्म ‘सच्चा झूठा’ के लिए उन्हें पहली बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला। यहां हम आपको बता दें कि ‘राजेश खन्ना (Rajesh Khanna) और अमिताभ बच्चन में कई वर्षों तक मतभेद बने रहे, लेकिन दोनों ने कभी भी इस बात का खुलकर इजहार नहीं किया,लेकिन कभी-कभार दोनों के बीच मतभेद की खबर आ ही जाती थी’।

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राजेश खन्ना हिंदी सिनेमा के पहले सुपर स्टार माने जाते हैं और एक वक़्त में वो अमिताभ से भी बड़े स्टार थे। अगर ये कहा जाए तो गलत नहीं होगा कि बाबू मोशाय के स्टारडम को फीका करने में अमिताभ बच्चन के स्टारडम का बहुत बड़ा हाथ है। ‘आनंद’ और ‘नमकहराम‘ जैसी फ़िल्मों में दोनों ने शानदार काम किया। मगर जैसे-जैसे अमिताभ को स्टारडम मिलता गया, राजेश खन्ना से उनके रिश्ते खराब होते गए। राजेश खन्ना अमिताभ से अक्सर कहते थे ‘बाबूमोशाय मुझसे मेरे फैन कोई नहीं छीन सकता है’।

अभिनेत्री डिंपल कपाड़िया के साथ की शादी, कुछ वर्षों बाद ही अलग हो गए—-

राजेश खन्ना (Rajesh Khanna) और डिंपल कपाड़िया ने 1973 में शादी की। जब डिंपल और राजेश खन्ना के बीच प्यार के किस्से चल रहे थे उस वक्त उनकी उम्र केवल 16 साल थी और राजेश खन्ना की उम्र 31 साल थी। ऐसे में दोनों के बीच उम्र का काफी फासला था। डिंपल ने अपनी पहली ही फिल्म ‘बॉबी’ के बाद शादी कर ली और कुछ समय के लिए फिल्मी दुनिया से किनारा कर लिया। शादी के कुछ वर्षों बाद ही दोनों में अनबन हो गई और अलग हो गए थे।

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राजेश खन्ना (Rajesh Khanna) और डिंपल कपाड़िया की दो बेटियां ट्विंकल खन्ना और रिंकी खन्ना हुई। बड़ी बेटी ट्विंकल ने बॉलीवुड में कई फिल्मों में काम किया है और वह अक्षय कुमार की पत्नी हैं। छोटी बेटी रिंकी खन्ना ने भी कुछ हिंदी फिल्मों में काम किया है।

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आपको बता दें कि ट्विंकल खन्ना का भी जन्म अपने पिता राजेश खन्ना के जन्मदिन के साथ 29 दिसंबर को पड़ता है। आज ट्विंकल भी अपना जन्मदिवस मनाती हैं । बता दें कि ‘काका ने फिल्मी परदे के साथ राजनीति में भी अपना जादू चलाया । राजेश खन्ना दिल्ली लोकसभा सीट से पांच वर्ष 1991-96 तक कांग्रेस पार्टी के सांसद रहे, उन्होंने भाजपा उम्मीदवार और फिल्म अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा को शिकस्त देकर बता दिया था कि वह इस सियासी दांव-पेच के भी मास्टर हैं’ ।

200 फिल्मों में काम किया और बेहतरीन अभिनय के लिए कई अवॉर्ड मिले—

चार दशकों के अपने लंबे करियर में ‘बाबू मोशाय’ (Rajesh Khanna) ने करीब 200 फिल्मों में अभिनय किया। इस दौरान उन्होंने तीन बार ‘फिल्मफेयर बेस्ट एक्टर अवॉर्ड’ जीते और इसके लिए 14 बार नामांकित भी हुए। सबसे अधिक बार ‘अवार्डस फॉर बेस्ट एक्टर’ (4 बार) पाने का सौभाग्य भी सिर्फ उन्हीं को मिला है। वह इसके लिए 25 दफा नामित भी हुए। भावपूर्ण दृश्यों में उनके सटीक अभिनय को आज भी याद किया जाता है। फिल्म ‘आनंद’ में उनके सशक्त अभिनय को एक उदाहरण माना जाता है।

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‘काका’ को 2005 में फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। इसके अलावा राजेश खन्ना (Rajesh Khanna) को 2013 में भारत सरकार की तरफ से पद्म भूषण से सम्मानित किया गया । इसी वर्ष आधिकारिक तौर पर ‘द फर्स्ट सुपरस्टार ऑफ इंडियन सिनेमा’ की उपाधि प्रदान की गई थी।

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आखिर में 18 जुलाई 2012 को बॉलीवुड के पहले सुपरस्टार दुनिया को अलविदा कह गए । जब यह समाचार उनके लाखों प्रशंसकों को मिला तो वह अपने काका की आखिरी झलक पाने के लिए मुंबई के ‘आशीर्वाद’ बंगले पर जमा हो गए थे । आज भले ही राजेश खन्ना हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी स्टाइल और रोमांटिक अंदाज दर्शकों के बीच वर्षों तक बना रहेगा।

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