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यूपी किरण डेस्क। रवी की फसलों की कटाई का समय नजदीक हैं। होली के बाद गेहूं, चना, मटर और सरसो आदि फसलें काटने लगेगी। ऐसे में दिल्ली की सरहदों पर डटे आंदोलनरत किसानों को अब वापस घरों को लौटना पड़ेगा। लेकिन इससे किसान आंदोलन पर असर नहीं पड़ने वाला। किसानों की अनुपस्थिति में किसानिनें सरहदों पर मोर्चा संभालेंगी। हजारों महिलाकिसानों ने कहा कि वह भी किसी से कम नहीं हैं। 

शुक्रवार को महिला दिवस पर शंभू बॉर्डर पर पंजाब के अलग-अलग हिस्सों से महिलाएं अपने बच्चों के साथ मोर्चे पर आंदोलन का उत्साहवर्धन कर रही थी। शंभू बॉर्डर पर बड़ी तादाद में जुटी महिलाओं ने कहा कि उनके घरों के पुरुष विगत 13 फरवरी से सरहदों पर डटे हैं। अब गेहूं की फसलों की कटाई के लिए उन्हें वापस घरों को जाना पड़ेगा। लेकिन आंदोलन प्रभावित नहीं होगा। किसान खेत में रहेंगे तो किसानिने सरहदों पर मोर्चों को संभालेंगी। 

शायद इसीलिए किसानिन अपने बच्चों को साथ में लाई हैं। एक महिला किसान ने कहा कि जब खेती नहीं रहेगी, तो फिर बच्चों का भविष्य क्या होगा। इस वजह से बच्चों में अभी से किसानों की दिक्कतों के बारे में जानकारी होनी चाहिए ताकि वह अभी से सजग हो सकें।

उधर, किसानों की तरफ से 10 मार्च के रेल रोको आंदोलन को लेकर तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। पंजाब के सभी जिलों में किसान रेल ट्रैक पर बैठकर धरना - प्रदर्शन करेंगे। इसके लिए किसान जत्थेबंदियों की ओर से लगातार गांव-गांव जाकर लोगों से रेल रोको आंदोलन में शामिल होने की अपील की जा रही है। दरअसल, अब आंदोलित किसान लोक लहर तैयार कर रहे हैं, जिससे केंद्र सरकार को किसानों की मांगों को पूरा करने के लिए तैयार किया जा सके। 

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