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Up Kiran, Digital Desk: छत्तीसगढ़ के बस्तर इलाके में कई सालों से नक्सली गतिविधियों में लिप्त रही महिला माओवादी कमांडर सुजाता ने आखिरकार आत्मसमर्पण कर दिया है। तेलंगाना में हुए इस सरेंडर को सुरक्षा बलों और खुफिया एजेंसियों की बड़ी कामयाबी माना जा रहा है। लंबे समय से दक्षिण बस्तर में आतंक फैलाने वाली सुजाता पर सरकार ने 1 करोड़ रुपये का इनाम घोषित किया था।

नक्सलियों के हौसले पस्त, संगठन को लगा बड़ा झटका

सुजाता के आत्मसमर्पण से न केवल नक्सली संगठन को रणनीतिक नुकसान हुआ है, बल्कि इससे उनके मनोबल पर भी असर पड़ा है। सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह घटनाक्रम माओवादी नेटवर्क के अंदरूनी हालात और टूटते मनोबल का संकेत है। लगातार चल रहे एंटी नक्सल ऑपरेशन ने माओवादियों की कमर तोड़ दी है।

मारे गए नक्सली कमांडर किशनजी की पत्नी है सुजाता

पुलिस सूत्रों के अनुसार, सरेंडर करने वाली सुजाता मारे गए कुख्यात नक्सली नेता किशनजी की पत्नी है। किशनजी की मौत कुछ साल पहले पश्चिम बंगाल में एक मुठभेड़ के दौरान हुई थी। सुजाता खुद नक्सली संगठन की सेंट्रल कमेटी (CC) की सदस्य रह चुकी है और उस पर कई राज्यों में लाखों का इनाम घोषित है।

बस्तर से नक्सलवाद की सफाई की दिशा में अहम कदम

सुजाता का आत्मसमर्पण उस समय हुआ है जब छत्तीसगढ़ में सुरक्षा बल वर्षा ऋतु के दौरान भी सघन ऑपरेशन चला रहे हैं। अधिकारी इसे एक बड़ी उपलब्धि मान रहे हैं क्योंकि सुजाता कई बड़े हमलों की साजिश में शामिल रही है। यह कदम बस्तर क्षेत्र से माओवादी गतिविधियों को उखाड़ फेंकने की रणनीति को मजबूती देता है।

लगातार झटके खा रहा माओवादी तंत्र

हाल के दिनों में माओवादियों को छत्तीसगढ़ में भारी नुकसान उठाना पड़ा है। दो दिन पहले गरियाबंद जिले में हुई मुठभेड़ में 10 नक्सली ढेर किए गए थे, जिनमें एक करोड़ के इनामी सीसी सदस्य मनोज उर्फ बालकृष्ण भी शामिल था। मारे गए नक्सलियों पर कुल मिलाकर 2.40 करोड़ रुपये का इनाम घोषित था। इसके अलावा बीजापुर में भी दो इनामी नक्सलियों को मार गिराया गया था, जिनके पास से हथियार और विस्फोटक सामग्री बरामद की गई।

आम जनता में भरोसा, सुरक्षा बलों को मिला समर्थन

सुजाता के सरेंडर से स्थानीय लोगों में सुरक्षा को लेकर विश्वास बढ़ा है। ग्रामीण इलाकों में लंबे समय से नक्सलियों की दहशत झेल रही जनता अब राहत महसूस कर रही है। सुरक्षा एजेंसियों को भी ग्रामीणों से अधिक सूचनाएं और सहयोग मिल रहा है, जो भविष्य में नक्सलवाद के खात्मे की दिशा में सहायक साबित हो सकता है।