पहला स्वदेशी अर्जुन मार्क-1ए टैंक सेना को समर्पित, जानिए क्या हैं इसकी खूबियां

img
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे को डीआरडीओ अध्यक्ष डॉ. जी सतीश रेड्डी की मौजूदगी में स्वदेशी रूप से विकसित पहला अर्जुन मार्क-1ए मुख्य युद्धक टैंक (एमबीटी) सौंपा। अब इसके बाद 6,600 करोड़ रुपये के अर्जुन एमबीटी के अंतिम बैच के उत्पादन के लिए औपचारिक रूप से आदेश देने का रास्ता साफ हो गया है। इसके साथ ही रक्षा उपकरण, डिजाइन, विकास और विनिर्माण में ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल ने एक और प्रमुख मील का पत्थर हासिल किया है।
Arjun Mark 1A-Indian Army
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कई महत्वपूर्ण विकास परियोजनाओं के शुभारंभ के लिए आज तमिलनाडु और केरल के दौरे पर हैं। चेन्नई के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में पहुंचने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सबसे पहले युद्धक टैंक अर्जुन को सलामी दी। इसके बाद उन्होंने सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे को स्वदेशी रूप से विकसित पहला अर्जुन मार्क-1ए मुख्य युद्धक टैंक (एमबीटी) सौंपा। कार्यक्रम में पहुंचने पर मुख्यमंत्री ई.के. पलानीसामी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वागत किया।

मौजूदा समय में सेना के पास 124 अर्जुन टैंक की दो रेजिमेंट हैं

अर्जुन टैंक को डीआरडीओ के कॉम्बैट व्हीकल रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट (सीवीआरडीई) ने डिजाइन किया है। टैंक का निर्माण ऑर्डिनेंस फैक्टरी बोर्ड (ओएफबी) के हेवी व्हीकल फैक्ट्री अवाडी द्वारा किया जाएगा। सरकार से अनुबंध पर हस्ताक्षर होने के 30 महीनों के भीतर पांच एमबीटी का पहला बैच सेना को सौंप दिया जाएगा। अर्जुन युद्धक टैंक पूरी तरह से स्वदेश निर्मित है जिसे पहली बार 2004 में अर्जुन टैंक को भारतीय सेना में शामिल किया गया था। मौजूदा समय में सेना के पास 124 अर्जुन टैंक की दो रेजिमेंट हैं, जिन्हें जैसलमेर में भारत-पाकिस्तान की सीमा पर तैनात किया गया है। प्रधानमंत्री मोदी जब नवम्बर में सैनिकों के साथ दिवाली मनाने पाकिस्तान से लगी जैसलमेर (राजस्थान) के लोंगेवाला सीमा पर गए थे तो उन्होंने जिस अर्जुन टैंक की सवारी की थी, उसी का यह उन्नत संस्करण एमके-1ए है।

हंटर किलर टैंक तैयार किया

रक्षा मंत्रालय की रक्षा अधिग्रहण समिति (डीएसी) ने 2014 में 118 अर्जुन एमके-1ए टैंकों के लिए 6,600 करोड़ रुपये के ऑर्डर को मंजूरी दे दी थी, लेकिन अबतक ऑर्डर नहीं दिया गया है। यह परियोजना 2015 से इसलिए अधर में थी क्योंकि सेना ने रूसी टी-90 टैंकों के ऑर्डर देने पर ध्यान केंद्रित किया था। इसके बाद 2019 में सेना ने रूस को 464 टी-90 के लिए करीब 14 हजार करोड़ रुपये का ऑर्डर दिया भी था। 2012 में विकसित किये गए अर्जुन मार्क-2 को 2018 में अर्जुन मार्क-1ए नाम दिया गया था। अर्जुन टैंक का इस्तेमाल करने के दौरान सेना को कई तरह के अनुभव हासिल हुए। इनके आधार पर सेना ने इसके उन्नत वर्जन के लिए कुल 72 तरह के सुधारों की मांग की। डीआरडीओ ने सेना के सुझावों को शामिल करते हुए हंटर किलर टैंक तैयार किया।
मार्च, 2020 में पोकरण में किए गए परीक्षणों में यह पूरी तरह खरा उतरा जिसके बाद टैंक खरीदने का ऑर्डर भी तैयार कर लिया गया लेकिन सेना ने इस टैंक में कुछ और सुधार की मांग की थी। इसके बाद डीआरडीओ ने करीब 14 नए फीचर्स को टैंक में शामिल करके डीआरडीओ ने 4 टैंक तैयार किए। इसके बाद भारतीय सेना और डीआरडीओ ने संयुक्त रूप से पिछले माह पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज में पूरी तरह से स्वदेशी उन्नत युद्धक टैंक अर्जुन मार्क-1ए का परीक्षण किया। इस दौरान सैन्य विशेषज्ञों के साथ डीआरडीओ में इसे तैयार करने वाले विशेषज्ञ भी मौजूद थे। अब उन्नत संस्करण अर्जुन मार्क-1ए ने 2020 में सभी परीक्षण पूरे कर लिए हैं जिसके बाद इसके सेना में शामिल करने का मार्ग प्रशस्त हो गया लेकिन सरकार से आदेश मिलने का इंतजार है।

टैंक अपने आप में परिपूर्ण है

अपग्रेडेशन के बाद डीआरडीओ का दावा है कि इतने सुधारों के बाद यह टैंक अपने आप में परिपूर्ण है और दुनिया के किसी भी बेहतरीन टैंक से किसी मायने में कम नहीं है। अर्जुन एमके-1ए में पिछले मॉडल अर्जुन मार्क-1 टैंक के मुकाबले कुल 72 अपग्रेडेशन किए गए हैं, जिसमें 14 महत्वपूर्ण और 58 सूक्ष्म सुधार शामिल हैं। डीआरडीओ के एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि अब कुल 118 नए टैंक बनाए जाएंगे। भारतीय सेना अब इस टैंक की दो और रेजीमेंट बनाने वाली है जो अगले छह महीनों में सेना में शामिल कर ली जाएंंगी। प्रत्येक रेजीमेंट में 59 अर्जुन टैंक होंगे। 16 साल पहले सेना में शामिल किए गए 124 ‘अर्जुनों’ की तुलना में मार्क-1ए टैंक में बेहतर मारक क्षमता, गतिशीलता और सुरक्षा है। एक रक्षा वैज्ञानिक के अनुसार प्रत्येक मार्क-1ए टैंक की कीमत 54 करोड़ रुपये होगी।

अर्जुन मार्क-1ए टैंक की खासियत

नए उन्नत वर्जन में इसकी फायर पावर क्षमता को काफी बढ़ाया गया है। साथ ही इसमें एकदम नई तकनीक का ट्रांसमिशन सिस्टम लगाया गया है। यह टैंक अपने लक्ष्य को स्वयं तलाश करने में सक्षम है। यह स्वयं तेजी से आगे बढ़ते हुए दुश्मन के लगातार हिलने वाले लक्ष्यों पर भी सटीक प्रहार कर सकता है। टैंक में कमांडर, गनर, लोडर व चालक का क्रू होगा। इन चारों को यह टैंक युद्ध के दौरान भी पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करेगा। टैंक की सबसे बड़ी खासियत यह है कि रणक्षेत्र में बिछाई गई माइंस को साफ करते हुए आसानी से आगे बढ़ सकता है। कंधे से छोड़ी जाने वाले एंटी टैंक ग्रेनेड और मिसाइल का इस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।​

परमाणु बम के विस्फोट की स्थिति में इसमें लगा अलार्म बज उठेगा

इसके अलावा केमिकल अटैक से बचाने के लिए इसमें विशेष तरह के सेंसर लगे हैं। केमिकल या परमाणु बम के विस्फोट की स्थिति में इसमें लगा अलार्म बज उठेगा। साथ ही टैंक के अंदर हवा का दबाव बढ़ जाएगा ताकि बाहर की हवा अंदर प्रवेश न कर सके। क्रू मेंबर के लिए ऑक्सीजन के लिए बेहतरीन फिल्टर लगाए गए हैं। इसके अलावा इसमें कई नए फीचर्स शामिल किए गए हैं, जो इस टैंक को न केवल बेहद मजबूत बनाते हैं बल्कि सटीक प्रहार करने में इसका कोई सानी नहीं है।
Related News