महीनों देश से सच्चाई छुपाते रहे स्वास्थ्य मंत्री ने पहली बार कोरोना कम्युनिटी ट्रांसमिशन स्वीकारा

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देश में इस समय त्योहार का सीजन और बिहार विधानसभा के साथ मध्य प्रदेश-उत्तर प्रदेश में भी उप चुनाव हो रहे हैं, जिससे जनता सड़कों पर है । वहीं कोरोना संकटकाल भी लोगों में दहशत फैला रहा है । केंद्र सरकार भी देश में महामारी को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं कर रही है । ‘इस महामारी को लेकर सरकार दोनों बातें बता कर जनता को भ्रमित करने में लगी हुई है, एक तरफ यह भी कहा जा रहा है कि संक्रमित मामले घट रहे हैं तो दूसरी ओर बयान दिया जाता है कि यह महामारी कम्युनिटी ट्रांसमिशन में फैल चुकी है’ ।

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‘पिछले काफी महीनों से केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन महामारी को लेकर बहुत ही हल्के बयान देने में लगे हुए थे । अब जाकर उन्होंने रविवार को देश में कम्युनिटी ट्रांसमिशन फैलने को लेकर पहली बार स्वीकारी है’, डॉ हर्षवर्धन ने माना कि भारत में अब कोरोना कम्युनिटी ट्रांसमिशन स्टेज में पहुंच चुका है’ ।

पिछले कुछ दिनों से केंद्र सरकार के बयान बता रहे हैं कोरोना की स्थित भारत में अभी भी भयावह बनी हुई है। तभी स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन त्योहारी सीजन को लेकर जनता से बहुत सजग रहने की बार-बार गाइडलाइन जारी कर रहे हैं । इससे यह सवाल उठ रहा है कि क्या पूरे देश में यह स्थिति बन रही है? सरकार इससे निपटने के लिए क्या कर रही है।

आइए आपको बताते हैं कम्युनिटी ट्रांसमिशन होता क्या है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक कम्युनिटी ट्रांसमिशन तब होता है जब कोई यह नहीं बता सकता कि बड़ी संख्या में लोगों को कोविड-19 पॉजिटिव कैसे हुआ? यानी सरकारी मशीनरी को पता नहीं होता कि नए केसेस का सोर्स क्या है। आसान शब्दों में कोई व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव निकला तो यह बताना मुश्किल हो जाता है कि उस तक यह इंफेक्शन किस तरह पहुंचा होगा।

दिल्ली, केरल और पश्चिम बंगाल सरकारों ने केंद्र सरकार को पहले भी चेताया था

भारत में कम्युनिटी ट्रांसफर को लेकर दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार केरल और पश्चिम बंगाल की सरकारों ने केंद्र सरकार को पहले भी चेताया था । इसके अलावा दिल्ली एम्स निर्देशक डॉ रणदीप गुलेरिया और आईएमए ने भी स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन को कम्युनिटी ट्रांसमिशन को लेकर चेतावनी जारी की थी । लेकिन स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर ने इन सब बातों की अनदेखी कर दी ।

पिछले दिनों इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने केंद्रीय परिवार कल्याण और स्वास्थ्य मंत्रालय से पूछा है कि वो देश में तेजी से फैल रहे कोरोना वायरस के संक्रमण का प्रबंधन आयुष मंत्रालय को क्यों नहीं सौंप देते हैं। दरअसल ये व्यंगात्मक टिप्पणी आईएमए को इसलिए करनी पड़ी क्योंकि स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने छह अक्टूबर को ‘कोविड-19 के इलाज के लिए प्रोटोकोल’ जारी किए जिसके तहत कोरोना वायरस के हलके या लक्षणहीन मरीजों का उपचार किया जा सकता है।

इससे पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा था कि राज्य में कोविड-19 का कम्युनिटी ट्रांसमिशन स्टेज शुरू हो गया है। स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने रविवार को सोशल मीडिया पर अपने संडे संवाद कार्यक्रम में कहा कि पश्चिम बंगाल समेत कई राज्यों में कम्युनिटी ट्रांसमिशन है, खासकर घनी आबादी वाले इलाकों में। हालांकि, यह पूरे देश में नहीं हो रहा और कुछ राज्यों के कुछ जिलों तक ही यह सीमित है।

भारत में कोरोना पीक गुजर गया और सर्दियों में लौट सकने वाले बयान से बढ़ी दहशत

एक ओर कहा जा रहा है कि भारत में कोरोना का पीक गुजर चुका है तो दूसरी तरफ यह भी बयान दिए जा रहे हैं कि सर्दियों में यह महामारी उसी रफ्तार से बढ़ सकती है । बता दें कि देश में कोरोना वायरस संक्रमण के नए मामलों और ताजा मौतों में पिछले कुछ दिनों से कमी देखने को मिल रही है। इस बीच सरकार की ओर से नियुक्‍त वैज्ञानिकों की एक कमेटी ने देश में कोविड-19 महामारी को लेकर कहा कि भारत में अब कोरोना वायरस संक्रमण का पीक गुजर चुका है।

हालांकि इसके साथ ही कमेटी ने यह भी कहा कि देश में महामारी की दूसरी लहर की आशंका को खारिज नहीं किया जा सकता है । कमेटी में शामिल नीति आयोग के सदस्‍य वीके पॉल ने कहा कि पिछले तीन हफ्ते से देश में भले ही कोरोना वायरस संक्रमण के नए मामलों और इससे होने वाली मौतों में कमी आ रही है ।

सरकार की ओर से गठित की गई वैज्ञानिकों की इस कमेटी में केंद्र सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार विजय राघवन भी शामिल हैं। इस कमेटी के प्रमुख आईआईटी हैदराबाद के प्रोफेसर एम विद्यासागर हैं। नीति आयोग के सदस्य पॉल ने कहा कि एक बार टीका आ जाए, उसके बाद उसे नागरिकों को उपलब्ध कराने के लिए पर्याप्त संसाधन हैं।

पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी भारत में इस महामारी के टीके लेकर एक बैठक की थी। जिसमेंं पीएम मोदी कहा कि जब तक टीका नहींं आ जाता, इस महामारी से लोगों को सावधान रहने की जरूरत है। केंद्र सरकार के कोरोना को लेकर अलग-अलग बयानों से प्रत्येक दिन अनिश्चितता बनी हुुई है, जिससे देेशवासियों में दहशत का माहौल है ।

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