महात्मा गांधी ने अपनी जिंदगी में हमेशा सच के साथ चले और हिंसा का विरोध किया। उन्होंने दूसरों को भी इन्हें अपनाने की शिक्षा दी। आज हम आपको महात्मा गांधी की उस आदत के बारे में बताएंगे जो बुरी थी, मगर समय रहते उन्होंने उसे त्याग दिया।
गांधीजी अपनी आत्मकथा में लिखते हैं कि, मेरे एक रिलेटिव के साथ मुझे बीड़ी-सिगरेट पीने का चस्का लगा। हमारे पास रुपए तो होते नहीं थे। हम दोनों में से किसी को ये पता नहीं था कि सिगरेट पीने से कोई फायदा होता है या उसकी बदबू में कोई आनंद होता है।
मगर हमें लगा कि सिगरेट का धुंआ (Smoking) उड़ाने में ही असली मज़ा है। मेरे चाचा को सिगरेट पीने (Smoking) की लत थी। उन्हें और दूसरे लोगों को धुआं उड़ाते देख हमारी भी सिगरेट पीने (Smoking) का मन हुआ। गांठ में रुपए तो थे नहीं, इसलिए चाचा सिगरेट पीने (Smoking) के बाद जो ठूंठ फेंक देते, हमने उन्हें ही चुरा कर पीना शुरू कर दिया। आपको बता दें कि महात्मा गांधी ने जल्द ही इस बुरी आदत को त्याग दिया। आपको बता दें कि आज के समय में 80 प्रतिशत युवा सिगरेट पीते (Smoking) हैं, जो एक गंदी आदत है।