दो अक्टूबर यानी कल भारत ही नहीं बल्कि दुनिया भर में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती (Gandhi Jayanti) धूमधाम से मनाई जाएगी। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का यह 152वां जन्म दिवस होगा। आजाद भारत के रचयिता महात्मा गांधी ने अपने सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चल कर अंग्रेजों के खिलाफ ऐसा बिगुल फूंका कि वह भारत छोड़कर जाने मजबूर हो गए। गांधी जी हर किसी को अहिंसा के मार्ग रास्ते पर चलने की सलाह देते थे। यही वजह है कि उनका जन्म दिवस अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस मनाया जाता है। आज हम आपको गांधी जी के उन पांच आदोलन के बारे में बताएंगे जिसने भारत में अंग्रेजों के पैर उखाड़ दिए थे।
गांधी जी नेतृत्व में बिहार के चंपारण जिले में सत्याग्रह किया गया था। यह उनका पहला सत्याग्रह था। गांधी जी ने यह सत्याग्रह उन किसानों के समर्थन में किया था जिन्हें अंग्रेज खाद्यान की खेती करने की बजाय नील और अन्य नकदी फसलों की खेती करने को मजबूर कर रहे थे। गांधी जी ने यह सत्याग्रह आंदोलन साल 1917 में किया था।
महात्मा गांधी ने 1920 में भारतीय नेशनल कांग्रेस के नेतृत्व में असहयोग आंदोलन किया था। इस आंदोलन ने भारत में स्वतंत्रता के संग्राम की एक नई ऊर्जा भर दी थी। (Gandhi Jayanti)
नमक छोड़ो आंदोलन गांधी जी के प्रमुख आंदोलनों में माना जाता है। यह आंदोलन 13 मार्च 1930 से अहमदाबाद के साबरमती आश्रम से आरंभ हुआ था और 24 दिन चला था। इस आंदोलन में महात्मा गांधी ने अपने अनुयाइयों के साथ 24 दिन की पैदल यात्रा की थी और दांडी गाव पहुंचे थे। उस आंदोलन को दांडी यात्रा के नाम से भी जाना जाता है। यह आंदोलन ब्रिटिश राज के एक अधिकार के खिलाफ किया गया था। (Gandhi Jayanti)
छुआछूत के खिलाफ महात्मा गांधी ने 8 मई 1933 में दलित आंदोलन की शुरुआत की थी। इसके पहले 1932 में गांधी जी ने अखिल भारतीय छुआछूत विरोधी लीग की स्थापना की थी। (Gandhi Jayanti)
अगस्त 1942 में भारत में महात्मा गांधी जी भारत छोड़ो आंदोलन आरंभ किया था। यह उनका सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण आंदोलन था। यह वहीं आंदोलन है जिसने अंग्रेजों को भारत छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया था। इस आंदोलन के दौरान करो या मरो आरंभ करने का निर्णय भी गांधी जी ने लिया था। (Gandhi Jayanti)
Mahatma Gandhi Jayanti: जब गांधी जी का नाम सुनते ही डाकुओं ने छोड़ दिया था सुनार को