Up kiran,Digital Desk : दोस्तों, इन दिनों भारतीय क्रिकेट में एक ही सवाल सबसे ज्यादा गूंज रहा है—"क्या गौतम गंभीर को हेड कोच बने रहना चाहिए?"
अगर आप सिर्फ ऊपर-ऊपर से देखेंगे, तो लगेगा कि सब कुछ बहुत शानदार है। भाई, उनकी कोचिंग में हमने 2025 में 'चैंपियंस ट्रॉफी' उठाई, 'एशिया कप' जीता और इंग्लैंड जाकर टेस्ट सीरीज ड्रॉ भी कराई। लेकिन जैसे ही आप पन्ने पलटकर टेस्ट क्रिकेट का हाल देखेंगे, तो तस्वीर बेहद डरावनी नजर आती है। खासकर भारत में हुए मैचों का रिकॉर्ड।
सच्चाई थोड़ी कड़वी है, लेकिन आंकड़े झूठ नहीं बोलते। घर पर टेस्ट मैचों में गंभीर का रिकॉर्ड भारत के सबसे विवादित कोच माने जाने वाले 'ग्रेग चैपल' से भी बुरा साबित हो रहा है। आइए, जरा डीटेल में समझते हैं कि आखिर मामला कहां बिगड़ रहा है।
व्हाइट बॉल में 'हीरो', रेड बॉल में 'जीरो'?
गंभीर की कोचिंग का सफर किसी बॉलीवुड थ्रिलर फिल्म जैसा रहा है। वनडे और टी20 में टीम इंडिया का जलवा कायम है। हमने चैंपियंस ट्रॉफी जीती, टी20 में धमाल मचाया। लेकिन टेस्ट क्रिकेट... ओह! यहां कहानी पूरी पलट गई है।
न्यूजीलैंड ने पिछले साल भारत में आकर हमें 3-0 से हराया (क्लीन स्वीप!), जो इतिहास में कभी नहीं हुआ था। हम वो गम भुला भी नहीं पाए थे कि अब साउथ अफ्रीका ने भी घर में आकर हमारा 2-0 से सूपड़ा साफ़ कर दिया। भारतीय फैंस, जो घर में टीम इंडिया की जीत की गारंटी मानकर चलते थे, अब हैरान हैं।
गंभीर के अंडर टीम इंडिया का पूरा कच्चा-चिट्ठा
फैंस कंफ्यूज हैं कि जश्न मनाएं या मातम। चलिए एक नजर डालते हैं कि गंभीर के कार्यकाल में हमने क्या खोया और क्या पाया:
- चैंपियंस ट्रॉफी 2025: (विजेता) - सबसे बड़ी उपलब्धि।
- एशिया कप 2025: (विजेता) - एशिया में दबदबा कायम।
- T20 सीरीज: जिम्बाब्वे (4-1), श्रीलंका (3-0), बांग्लादेश (3-0), साउथ अफ्रीका (3-1, उनके घर में), इंग्लैंड (4-1, घर में)।
- टेस्ट: बांग्लादेश को घर में 2-0 से हराया, वेस्टइंडीज को 2-0 से हराया।
- न्यूजीलैंड टेस्ट सीरीज (घर): 0-3 से शर्मनाक हार।
- साउथ अफ्रीका टेस्ट सीरीज (घर): 0-2 से व्हाइटवॉश।
- बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी (ऑस्ट्रेलिया): 1-3 से हारी।
- ऑस्ट्रेलिया में वनडे: 1-2 से सीरीज गंवाई।
- श्रीलंका में वनडे: 27 साल बाद हम उनसे वनडे सीरीज हार गए (0-2)।
टेस्ट क्रिकेट में क्यों हो रही 'थू-थू'?
सबसे बड़ा चिंता का विषय यह है कि भारत का 'घर का किला' अब सुरक्षित नहीं रहा। पिछले 20-25 सालों में किसी भी कोच का रिकॉर्ड घर पर इतना खराब नहीं रहा, जितना गंभीर का है।
आंकड़े बताते हैं कि गंभीर की कोचिंग में भारत ने घर पर 9 टेस्ट मैच खेले हैं, जिसमें से 5 में हार मिली है। यानी घर पर हारने का प्रतिशत 52% से ज्यादा है!
तुलना करें तो ग्रेग चैपल (जिनसे भारतीय फैंस आज भी चिढ़ते हैं) के समय भी भारत ने घर पर केवल 22% मैच हारे थे। यानी साफ़ है, टेस्ट में हम रसातल की ओर जा रहे हैं।
फैंस का गुस्सा और 'हाय-हाय' के नारे
सोशल मीडिया पर अब 'Remove Gambhir' (गंभीर को हटाओ) ट्रेंड होने लगा है। हाल ही में गुवाहाटी में मिली हार के बाद तो स्टेडियम में मौजूद फैंस ने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए नारेबाजी भी की। क्रिकेट पंडित भी अब दबी जुबान में कहने लगे हैं कि क्या अब समय आ गया है कि 'रेड बॉल' और 'व्हाइट बॉल' के लिए अलग-अलग कोच रखे जाएं?
गौतम गंभीर एक फाइटर हैं, इसमें कोई शक नहीं। लेकिन टेस्ट क्रिकेट में अपनी साख बचाने के लिए उन्हें अब कुछ चमत्कारी फैसले लेने ही होंगे। वरना वो दिन दूर नहीं, जब उनकी ये सुनहरी उपलब्धियां टेस्ट की इन कड़वी हारों के नीचे दबकर रह जाएंगी।
आपका क्या मानना है? क्या गंभीर को टेस्ट कप्तानी से हटा देना चाहिए या उन्हें और वक्त मिलना चाहिए?
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