Up Kiran, Digital Desk: जेवलिन मिसाइल भारत, एक्सकैलिबर मिसाइलें भारत, भारत अमेरिका रक्षा समझौता, 93 मिलियन डॉलर डील, भारत की सैन्य ताकत, मोदी सरकार रक्षा, भारतीय सेना आधुनिकीकरण
आजकल देश में हर तरफ एक खबर गरमा रही है, और वो है भारत और अमेरिका के बीच एक बड़ा रक्षा समझौता. अमेरिका ने भारत को जेवलिन मिसाइलें और एक्सकैलिबर प्रोजेक्टाइल देने की 93 मिलियन डॉलर (यानी करीब 775 करोड़ रुपये से भी ज्यादा) की डील को हरी झंडी दे दी है. यह खबर सचमुच हर भारतीय के लिए गर्व का विषय है, क्योंकि इससे हमारी सेना को और भी ताकत मिलने वाली है.
सोचिए, ये सिर्फ कोई छोटी-मोटी डील नहीं है, बल्कि एक बहुत बड़ा कदम है जो हमारी रक्षा क्षमताओं को और मज़बूत करेगा. आपने अक्सर सुना होगा कि हमारे सैनिक कितनी बहादुरी से सरहदों पर तैनात रहते हैं. ऐसे में जब उनके हाथों में ऐसी आधुनिक तकनीक होगी, तो हमारा दुश्मन हमें आंख उठाकर देखने की भी हिम्मत नहीं कर पाएगा.
जेवलिन और एक्सकैलिबर आखिर हैं क्या?
अब आपके मन में सवाल आ रहा होगा कि ये जेवलिन मिसाइलें और एक्सकैलिबर प्रोजेक्टाइल क्या हैं, और ये हमारे लिए इतनी ज़रूरी क्यों हैं.
- जेवलिन मिसाइलें: ये ऐसी मिसाइलें हैं जो टैंकों और बख्तरबंद गाड़ियों को पलक झपकते ही ढेर कर सकती हैं. इन्हें चलाने के लिए ज़्यादा लोग नहीं चाहिए होते, और ये दुश्मन के ठिकानों पर अचूक वार करती हैं. इसका मतलब है कि हमारे सैनिक कम जोखिम में रहते हुए भी दुश्मन को भारी नुकसान पहुंचा सकते हैं. इसे आप एंटी-टैंक मिसाइल सिस्टम भी कह सकते हैं.
- एक्सकैलिबर प्रोजेक्टाइल: ये गोला-बारूद के आधुनिक रूप हैं जो सटीक निशाना लगाने में माहिर होते हैं. मान लीजिए कि दूर दुश्मन का कोई बंकर है, तो एक्सकैलिबर उसे इतनी सटीकता से उड़ा सकता है जिसकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते. इससे हमारे सैन्य अभियानों में न सिर्फ तेज़ी आएगी, बल्कि हमारे संसाधनों का भी बेहतर इस्तेमाल होगा.
भारत के लिए क्यों है यह डील खास?
यह डील कई मायनों में हमारे लिए बेहद खास है.
- आधुनिकीकरण: यह हमारी सेना के आधुनिकीकरण की दिशा में एक बड़ा कदम है. पुरानी तकनीक को हटाकर नई और बेहतर तकनीकों को अपनाना किसी भी सेना के लिए ज़रूरी होता है.
- दुश्मनों पर नकेल: पाकिस्तान और चीन जैसे देशों से लगी हमारी सरहदें हमेशा चुनौती भरी रहती हैं. इन नई मिसाइलों और प्रोजेक्टाइलों के आने से हमारे दुश्मनों पर एक मनोवैज्ञानिक दबाव बढ़ेगा और उन्हें कोई भी गलत कदम उठाने से पहले हज़ार बार सोचना पड़ेगा.
- अमेरिका से संबंध: यह समझौता भारत और अमेरिका के बीच बढ़ते रणनीतिक संबंधों को भी दिखाता है. दोनों देश लगातार एक-दूसरे के साथ मिलकर काम कर रहे हैं, जिससे वैश्विक शांति और सुरक्षा को भी बल मिलता है.
हमारी सरकार और रक्षा मंत्रालय इस दिशा में लगातार काम कर रहे हैं कि हमारे सैनिकों को सबसे अच्छी तकनीक और हथियार मिलें. यह 93 मिलियन डॉलर की डील उसी सोच का नतीजा है. इससे न केवल हमारे सैनिक पहले से ज़्यादा सुरक्षित महसूस करेंगे, बल्कि पूरे देश का सीना भी गर्व से चौड़ा हो जाएगा. ये भारत-अमेरिका रक्षा सहयोग का एक बेहतरीन उदाहरण है.
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